बिहार में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले आरजेडी, कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन ने दम भरा था कि वह पूरी तरह एकजुट है और विधानसभा चुनाव में एनडीए के सामने बहुत बड़ी चुनौती पेश करेगा लेकिन सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में छिड़ी जंग ने इसकी एकजुटता के दावों को तार-तार कर दिया है।

किसी भी चुनाव में जीत के लिए सबसे पहली पहली शर्त होती है टिकटों का शांतिपूर्वक बंटवारा और इसमें महागठबंधन पूरी तरह फेल होता दिखाई दिया है। महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का मसला कई मुलाकातों, बैठकों के बाद भी हल नहीं हो पाया।

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बिहार में दूसरे चरण का नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर है और अभी तक भी यह कोई यह नहीं बता सकता कि कांग्रेस कितनी सीटों पर, आरजेडी कितनी सीटों पर और महागठबंधन में शामिल बाकी दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।

इन सीटों पर छिड़ी है जंग

लालगंज, वैशाली, सिकंदरा, वारसलीगंज, रोसड़ा, कहलगांव, राजापाकड़, बिहार शरीफ, बछवाड़ा, तारापुर और भभुआ जैसी सीटें हैं जहां पर महागठबंधन में शामिल दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ ही चुनाव मैदान में उम्मीदवारों को खड़ा कर दिया है। इससे यह सवाल निश्चित रूप से खड़ा होता है कि क्या महागठबंधन में शामिल दलों में किसी तरह का कोई को-आर्डिनेशन या सामंजस्य नहीं है?

दूसरी ओर एनडीए ने इस मामले में बेहतर काम किया। एनडीए की अगुवाई कर रहे भाजपा और जेडीयू ने बाकी सभी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर टिकट बंटवारे को अंतिम रूप दिया और चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को भी मना लिया। एनडीए ने लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाया कि उनका गठबंधन मजबूत है।

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बीजेपी और एनडीए में शामिल बाकी दलों ने महागठबंधन में छिड़ी इस लड़ाई को मुद्दा बनाया है और लोगों के सामने बार-बार इस बात को दोहराया है कि महागठबंधन में तमाम दल एक-दूसरे की टांग खींचने में जुटे हुए हैं। एनडीए इसमें अपने फायदे की उम्मीद देख रहा है और राजनीति में ऐसा होना स्वाभाविक भी है।

खड़गे-राहुल ने किया लालू को फोन

इस तरह की भी खबरें सामने आई कि आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर रार इतनी ज्यादा बढ़ गई कि बातचीत पूरी तरह बंद हो गई। इसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मामले को हल करने के लिए आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को फोन किया। इसके बाद भी ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस, आरजेडी या फिर विकासशील इंसान पार्टी के बीच सीटों को लेकर बंटवारे की यह लड़ाई खत्म हुई है।

कौन हटेगा पीछे?

कांग्रेस और आरजेडी के तेवरों को देखकर यह लगता है कि वे पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। कांग्रेस और आरजेडी के साथ ही वाम दलों और वीआईपी के उम्मीदवार भी कुछ सीटों पर आमने-सामने हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इनमें से कोई अपने तेवरों को नरम करेगा क्योंकि दूसरे चरण में भी नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 23 अक्टूबर है और इसमें सिर्फ चार दिन बचे हैं।

सीट बंटवारे को लेकर जिस तरह की अहंकार की या खुद को एक-दूसरे से बड़ा दिखाने की लड़ाई महागठबंधन में शामिल दलों के बीच देखने को मिली है, उससे साफ है कि विधानसभा चुनाव की शुरुआती लड़ाई में महागठबंधन ने खुद को कमजोर खिलाड़ी के रूप में पेश किया है। दूसरी ओर, एनडीए और विशेष कर बीजेपी ने अपने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, पार्टी के बड़े नेताओं केंद्रीय मंत्रियों को पूरे बिहार में चुनाव प्रचार में उतार दिया है।

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