भाजपा नेता अमित शाह का चंडीगढ़ दौरा कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को भारी पड़ गया है। शनिवार को पंजाब कांग्रेस के चार वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री भाजपा में शामिल हो गए हैं। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुनील जाखड़ ने इस मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस को आईना दिखाया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ”कांग्रेस को देखना चाहिए कि ऐसे अनुभवी नेता और कार्यकर्ता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं। अगर वे देश के प्रति अपनी निष्ठा की प्रतिज्ञा नहीं कर सकते हैं और पार्टी की कमियों को दूर नहीं कर सकते हैं, तो वे विपक्ष होने का दर्जा भी खो सकते हैं।”

आज कांग्रेस और अकाली छोड़ भाजपा में जाने वाले नेताओं में राज के वेरका, गुरप्रीत एस कांगड़, बलबीर सिद्धू, केवल एस ढिल्लों, सुंदर शाम अरोड़ा, कमलजीत एस ढिल्लों, बीबी मोहिंदर कौर जोश, सरूप चंद सिंगला और अमरजीत एस सिद्धू का नाम शामिल है।

भाजपा में शामिल होते हुए बलबीर सिंह सिद्धू ने कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, मैं 30-32 साल की उम्र से कांग्रेस में हूं। अब मैं 60 का हो गया हूं, पार्टी के लिए खून-पसीने से काम किया। लेकिन कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं की पहचान नहीं करती है। मोदी जी और अमित शाह जी जिस तरह से काम करते हैं, उसका श्रेय अपने कार्यकर्ताओं को देते हैं।

आम नहीं, खास है ये पलायन

बलबीर सिंह सिद्धू मोहाली से तीन बार विधायक रह चुके हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाल चुके हैं। इनके भाई अमरजीत एस सिद्धू मोहाली से मेयर हैं। रामपुर फूल विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके गुरप्रीत एस कांगड़ राजस्व मंत्री रह चुके हैं। वेरका की गिनती माझा क्षेत्र के प्रमुख दलित नेता के रूप मे होती है। पिछली सरकार में सामाजिक न्याय एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री रह चुके वेरका तीन बार विधायक भी चुने जा चुके हैं। वहीं सुंदर शाम अरोड़ा भी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते रहे हैं। होशियारपुर से पूर्व विधायक रहे सुंदर कांग्रेस सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्री का पद संभाल चुके हैं।

ऐसे में नेताओं का ये पलायन भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि है। आज भाजपा में शामिल हुए लगभग सभी नेता न सिर्फ बड़े पद संभाल चुके हैं बल्कि जमीनी स्तर पर जनता से भी जुड़े हैं। सिद्धू और कांगर प्रमुख जाट-सिख नेता के तौर पर जाने जाते हैं। वहीं वेरका कांग्रेस के दलित चेहरा रहे हैं। कांग्रेस को इस बात चिंता सता सकती है कि कहीं इन नेताओं के साथ इनके समुदाय का वोट भी भाजपा की तरफ न खिसक जाए।