उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने भले ही अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हो, लेकिन पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में दलितों, मुसलमानों और अति पिछड़े वर्गों (MBC) पर ध्यान देने के साथ राज्य में अपनी पैठ बनाने को लेकर आशान्वित है। पार्टी को लगता है कि यह सोशल इंजीनियरिंग 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य में अच्छे परिणाम सुनिश्चित करेगी।

यूपी में इस फॉर्मूले पर काम कर रही है कांग्रेस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी ने पहले ही दलित+मुस्लिम और एमबीसी के फॉर्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है और राज्य भर में इस संबंध में कार्यक्रम शुरू कर दिया है। कांग्रेस फिलहाल लोगों को जातिगत जनगणना की आवश्यकता के बारे में जागरूक भी कर रही है। हाल के कर्नाटक चुनाव में, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना के समर्थन में बोलते हुए कहा था कि मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण कैप को हटा दिया जाना चाहिए।

यूपी कांग्रेस कमेटी (UPCC) के संगठन सचिव अनिल यादव ने कहा, “हमारे शीर्ष नेताओं में से एक ने कहा है कि हमारी पार्टी जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन करती है इसलिए यूपी में भी यह इस बार हमारे अभियान का एक प्रमुख हिस्सा होगा।” यादव ने कहा कि पार्टी ने पांच महीने पहले लोनिया, राजभर, निषाद, कुशवाहा, कुम्हार और अन्य एमबीसी जातियों को लुभाना शुरू किया था। यादव ने कहा, “हमने पूर्वी और मध्य यूपी में कई बैठकें की हैं और कार्यक्रमों में भाग लेने वाले इन समुदायों के प्रभावशाली सदस्यों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।”

चुनाव में सफल होने के लिए हर किसी के वोट की जरूरत नहीं- कांग्रेस

कभी ऊंची जातियों का समर्थन पाने वाली कांग्रेस जानती है कि इससे सवर्ण समुदाय नाराज हो सकता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम जानते हैं कि अगर हम आरक्षण पर सीमा हटाने की बात करेंगे तो यह उच्च जाति के समुदायों को नाराज़ करेगा। पर राजनीतिक दलों ने पारंपरिक रूप से अतीत में ऐसे सामाजिक समीकरण बनाए हैं और सफल भी हुए हैं। उदाहरण के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और सपा को लें। कभी-कभी, हमें चुनाव करना पड़ता है। चुनाव में सफल होने के लिए हमें हर किसी के वोट की जरूरत नहीं है।”

कांग्रेस का 2024 के चुनाव लिए मुसलमानों पर फोकस

कांग्रेस ने 2024 के चुनाव लिए मुसलमानों पर फोकस किया है। मुस्लिम समुदाय ने पारंपरिक रूप से सपा का समर्थन किया है। 2022 के यूपी चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट हो गया कि मुस्लिम समुदाय सपा के साथ था। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि जमीन पर समीकरण बदल गया है और सपा धीरे-धीरे मुस्लिम समर्थन खो रही है। यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक विंग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कहा, “मुस्लिम अखिलेश यादव से तंग आ चुके हैं। वह उनके मुद्दों पर बात नहीं करते हैं, जब उन पर हमला होता है तो वह उनके घरों में नहीं जाते हैं। जब यूपी में सीएए विरोधी आंदोलन हुआ तो 20 लोगों को पुलिसकर्मियों ने मार डाला था। अखिलेश एक भी परिवार से मिलने नहीं गए।”

आलम ने कहा, “2024 के चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस मुस्लिमों को बताएगी कि वह एकमात्र पार्टी है जो भाजपा को हरा सकती है। जब अतीत में मुसलमानों ने हमें वोट दिया, तो हम यूपी में सफल हुए। जब से वे बसपा और सपा में गए हैं तब से उनके वोट बर्बाद जा रहे हैं।”

दलितों पर भी रहेगा कांग्रेस का खास ध्यान

कांग्रेस जिस तीसरे समुदाय तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, वह दलित हैं- जो कई दशकों से यूपी में बसपा के साथ हैं। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि दलितों ने बसपा को वोट दिया पर पार्टी भाजपा को उखाड़ने में विफल रही है। एक कांग्रेस नेता ने कहा, “यूपी में दलित भाजपा से नाखुश हैं। वहीं बसपा बीजेपी के साथ नजर आ रही है। हर कोई जानता है कि। पुलिस थानों में दलितों की शिकायत पर सवर्णों के खिलाफ मामले दर्ज नहीं किए जाते। जो लोग इस सब से पीड़ित हैं, वे हर दिन इसे खत्म करना चाहते हैं और कांग्रेस की ओर देख रहे हैं।”

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष बृजलाल खबरी ने कहा, “राहुल गांधी पहले ही जातिगत जनगणना का समर्थन कर चुके हैं। इस राज्य और देश के दलित जानते हैं कि कांग्रेस ने एक दलित को अपना अध्यक्ष बनाया है। हमें लगता है कि समुदाय हमें अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करेगा।”