Nazul Land Bill: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उसके बाद विधान परिषद के सभी सदस्यों ने इसे प्रवर समिति को भेजने का फैसला ले लिया। अब विधानसभा से पास नजूल विधेयक पर दो महीने के बाद प्रवर समिति जब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तो उसके बाद ही इस पर कोई निर्णय होगा।

मुख्यमंत्री में दिखाई हरी झंडी

मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक पास होने के बाद विधान परिषद में इसे प्रवर समिति को भेजने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हरी झंडी दी है। दरअसल, विधानसभा में विधेयक पेश होने और पास होने के बाद कई विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अलग से मुलाकात की थी और इस पर कई संशोधन सुझाए थे। माना जा रहा है कि चूंकि सीधे पास हुए विधेयक को रोका नहीं जा सकता था इसलिए विधान परिषद में प्रवर समिति के जरिए फिलहाल दो महीने के लिए इसे टाला गया है।

नजूल विधेयक पर अनुप्रिया पटेल ने जताई आपत्ति

केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी अनुप्रिया पटेल ने नजूल संपत्ति विधेयक को गैर जरूरी और जन भावना के खिलाफ करार देते हुए कहा कि इसे बिना व्यापक विचार विमर्श के जल्दबाजी में लाया गया। अनुप्रिया पटेल ने X पर पोस्ट में लिखा है, ‘इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जिन्होंने इस विधेयक को लेकर सरकार को गुमराह किया है।’

नजूल विधेयक से कई भाजपा विधायक भी नाराज

वहीं, नजूल विधेयक को लेकर कई भाजपा विधायकों ने भी नाराजगी जताई, लेकिन सदन से इसे पास करा लिया गया था। अब विधान परिषद में इसे रोक दिया गया है। विधान परिषद के इस कदम के बाद कई भाजपा के विधायकों ने खुशी जताते हुए कहा कि पूरी तरीके से इस पर बातचीत के बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए।

कांग्रेस ने आंदोलन की दी चेतावनी

नजूल विधेयक को लेकर जहां सरकार अपनों के बीच घिरी है। वहीं इसको लेकर कांग्रेस ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। कांग्रेस नेता और पूर्व एमएलसी दीपक सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार के भीतर भी इस विधेयक को लेकर गुस्सा है। यही वजह है कि विधान परिषद में जिस वक्त केशव मौर्य इस नजूल संपत्ति विधेयक को पेश कर रहे थे उसी वक्त बीजेपी के विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग कर दी।

नजूल संपत्ति क्या होती है?

नजूल की जमीन का मतलब ऐसे जमीनों से होता है जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला। ऐसे में इन जमीनों पर राज्य सरकार का अधिकार हो जाता है।अंग्रेजी राज के समय उनके खिलाफ बगावत करने वालों रियासतों से लेकर लोगों तक की जमीनों पर ब्रिटिश राज कब्जा कर लेती थी।आजादी के बाद इन जमीनों पर जिन्होंने रिकॉर्ड के साथ दावा किया सरकार ने उनके जमीनों को वापस कर दिया। वहीं जिन जमीनों पर किसी ने दावा नहीं किया वहीं नजूल की जमीन बन गई, जिसका अधिकार राज्य सरकारों के पास था। यूपी सरकार का तर्क है कि वे नजूल जमीनों का इस्तेमाल अब विकास कार्यों के लिए करेंगे।