इतना ही नहीं डीटीसी की कई रूटों की बसें सड़कों से गायब ही हो गर्इं। लोग घंटों बस स्टाप पर अपनी रूट की बसों की राह देखते रहे। उनके देर तक न आने पर पता चला कि ज्यादातर बसे खड़ी हैं। कई तो सड़कों पर खराब ही खड़ी कर दी ग कुछ के रूट बदल दिए गए हैं, क्योंकि उनके रूट पर बीच-बीच में पानी भरा है। लोग हलकान रहे, गुस्से में भी रहे। रही-सही कसर दिल्ली पुलिस ने पूरी कर गईं है।

पुलिस ने सात रूटों पर जलभराव की बात बताई और वैकल्पिक मार्ग से जाने की सूचना देकर चुप्पी साध ली! पुलिस ने यह सूचना देकर अपनी रस्म अदायगी तो पूरी कर ली लेकिन यह नहीं बताया कि वो वैकल्पिक मार्ग होंगे कौन ? उन सात रूटों पर चलने वाले आखिर गंतव्य तक पहुंचने के लिए किधर से जाएं, जबकि आमतौर पर जब भी दिल्ली पुलिस रूट को लेकर दिल्ली वालों को आगाह करती है तो वह वैकल्पिक मार्ग भी बताती है। किसी ने ठीक ही कहा- दिल्ली पुलिस ने भी परिवहन विभाग की तरह यह मान लिया कि दिल्ली के दिहाड़ी लोग घरों से निकलेंगे ही नहीं!

प्रयोग का प्राधिकरण

नए प्रयोग करने को लेकर औद्योगिक महानगर नोएडा प्राधिकरण का पुराना इतिहास रहा है। चाहे वो सेक्टर- 8 में बनाया गया मीट- मुर्गा मार्केट हो या फिर यू-टर्न पर गलत दिशा में आने वाली गाड़ियों के टायर पंक्चर करने का प्रयोग। भले ही यह प्रयोग मोटी रकम और समय खर्च करने के बाद बेकार साबित हुए हैं लेकिन नए प्रयोग अभी भी करे जा रहे हैं। बगैर जमीनी हकीकत और लगातार बढ़ते वाहन भार के बावजूद प्राधिकरण की तरफ से लालबत्ती मुक्त मास्टर प्लान मार्ग नंबर वन को बनाने की योजना इन दिनों लोगों के बीच चर्चा में है।

रजनीगंधा से लेकर 12/22 टी प्वाइंट तक लालबत्ती मुक्त बनाने के लिए कर छोटे यू-टर्न बनाए गए हैं, जिन पर अभी से सुबह- शाम लंबा जाम लग रहा है। जबकि अभी बंद होने वाली कई लालबत्ती चालू हैं। यहां जाम लगने की मुख्य वजह सड़कों पर होने वाली सैकड़ों गाड़ियों की पार्किंग है, जिसका कोई इलाज ना तो प्राधिकरण और ना ही वहां संचालित प्रतिष्ठान संचालकों के पास है। हालांकि तय योजना के तहत इस मार्ग के कई व्यस्त लालबत्ती वाले चौराहों को बंद किया गया था लेकिन बेपटरी हुई यातायात व्यवस्था के चलते इन्हें फिर खोल दिया गया है। यह मार्ग लालबत्ती मुक्त कभी शुरू हो पाएगा? इस पर लगातार असमंजस बढ़ता जा रहा है।

रटा-रटाया जवाब

अपने विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद राजधानी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले संबंधित विभाग के अधिकारी या तो एकदम से चुप्पी साध लेते हैं या फिर रटा-रटाया जवाब देते हैं। बीते दिनों एक थानाध्यक्ष पर जब गंभीर आरोप लगे तो पहले तो वरिष्ठ अधिकारियों ने चुप्पी साध ली, लेकिन जब मामला मीडिया में आया और तूल पकड़ने लगा तो अधिकारी का जवाब आया। पर जवाब वहीं था, जिसकी सभी को पहले से उम्मीद थी। कहा गया विभागीय जांच के आदेश दिए जा चुके हैं।

इस मुद्दे पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। पर अधिकारी ने यह नहीं बताया कि यह जांच कब तक पूरी होगी और इसके लिए कोई तय समय निर्धारित है या नहीं। आमतौर पर देखा जाता है कि कुछ दिनों बाद मामला एकदम से शांत हो जाता है, जिसको लेकर कोई सवाल-जवाब करने वाला नहीं होता, जिसका फायदा अकसर सरकारी कर्मचारी या फिर अधिकारी जमकर उठाते हैं।

मुलाकात का मतलब

मुलाकात के मायने अब नगर निगम में बदल गए हैं। यहां निगम अधिकारी मिलते नहीं हैं और जब मिलते हैं तो आपकी समस्याएं नहीं सुनते। वह भी तब तक जब तक दिल्ली नगर निगम के चुनाव नहीं हो जाते। यहां कार्यवाहक अधिकारी भी समय नहीं दे रहे। यही नहीं, अधिकारी ने अपने निजी सहायक को भी यह निर्देश दे रखा है कि वे किसी को मिलने का समय नहीं दें।

बेदिल ने बीते दिन निगम के एक आला अधिकारी से मिलने के लिए फोन किया। निजी सहायक ने कहा कि अभी उनके अधिकारी को कार्यवाहक मान लिया जाए इसलिए किसी भी मसले पर मिलने का कोई मतलब नहीं। जब बेदिल ने कहा कि एक समस्या के बाबत मिलना था तो जवाब मिला कि इसके लिए जनसुनवाई का दिन और समय तय है। इसके अलावा मिलने की अनुमति नहीं है।

धुल गए दावे

हर बार की तरह इस बार भी तैयारियां धुल गई बारिश में। बारिश के दौरान जनता को परेशानियां न हो इसके लिए सरकारी एजंसियां हर साल व्यापक स्तर की तैयारियां करती हैं लेकिन जैसे ही बारिश दिल्ली वालों पर मेहरबान होती है वैसे ही सरकारी तंत्र की तैयारियां धुल जाती हैं। इन तैयारियों को लेकर ही इस बार आम आदमी पार्टी के नेता विपक्ष के निशाने पर रहे।

चुनावी माहौल होने की वजह से पोल खोलने का असर इतना था कि नेताओं ने पानी में उतर कर टीवी पत्रकारों की तरह लाइव किया और नाव से घूम कर दिल्ली की एजंसियों की पोल खोली। इस पर भाजपा के नेता ने ट्वीट किया कि दिल्ली में बारिश की वजह से सड़कें धंस रही है और इनमें छोटी गाड़ियां नही दिल्ली सरकार की कलस्टर बस सेवाएं भी फंसी है। वहीं, किसी ने अपनी गाड़ी में पर्चा चिपकाया कि गाड़ी नशे में नहीं चला रहा बल्कि गड्ढों से बचने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी चला रहा।
-बेदिल