Delhi Bus procurement: दिल्ली सरकार की शराब नीति मामले में सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इस मामले में सीबीआई डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी कर चुकी है। इस बीच, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार नई मुश्किल में घिरती नजर आ रही है। सीबीआई ने लो-फ्लोर बसों की खरीब और रखरखाव में ‘भ्रष्टाचार’ के आरोपों को लेकर प्रारंभिक जांच (PE) शुरू की है।

दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रारंभिक जांच दर्ज करने की जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी।

अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय के संदर्भ पर जांच दर्ज की गई है। इसके पहले, दिल्ली सरकार ने बस खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन किया था और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सीबीआई का इस्तेमाल कर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया था।

डीटीसी द्वारा बसों की खरीद के सालाना रखरखाव अनुबंध (एएमसी) में कथित भ्रष्टाचार का मामला भाजपा ने इसी साल मार्च में दिल्ली विधानसभा में उठाया था। जून में पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने एएमसी में प्रक्रियागत ‘‘खामियां’’ पाई थीं और इसे खत्म करने की सिफारिश की थी।

अधिकारियों ने कहा कि एलजी ने मामले को विचार के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजा था। उन्होंने कहा कि शिकायत में आरोपों का पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच पहला कदम है कि क्या वे प्रथमदृष्टया प्राथमिकी के योग्य अपराध की तरफ इशारा करते हैं।

केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति पर क्या है विवाद

राजधानी दिल्ली में पिछले साल नई आबकारी नीति लागू की गई थी। जिसके मुताबिक दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। इनमें 849 लाइसेंस आवंटित किए गए थे। इन 32 जोन में हर एक जोन में औसतन 26 से 27 शराब की दुकानें खुल रही थीं।

दिल्ली में अभी तक 60 फीसदी दुकानें सरकारी और 40 फीसदी निजी हाथों में थीं, लेकिन इस नीति के बाद 100 फीसदी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं। इस नई शराब नीति के अनुसार, दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र सीमा को घटा दिया गया था। जो 25 साल से घटाकर 21 साल कर दी गई थी।