नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार द्वारा मंजूर किए गए कुछ प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट को पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने पिछली सरकार के कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाए। इसके मुताबिक शहरी और औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सिडको) के करीब 2000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ी पाई गई।
अजीत पवार ने आरोप लगाया कि नवी मुंबई में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नेरुल उरन रेलवे लाइन और नवी मुंबई रेल प्रोजेक्ट में कुछ कथित गड़बड़ियां पाई गईं। सिडको महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग के अंतर्गत आता है, जिसे खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संभाल रहे थे। सीएजी के मुताबिक, सिडको ने नवी मुंबई मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा न करने वाले 22 कॉन्ट्रैक्टर्स से टेंडर नियमों का उल्लंघन करने के लिए बकाया 185 करोड़ रुपए का जुर्माना भी नहीं वसूला।
फडणवीस ने आरोपों से इनकार कियाः विधानसभा में अब विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे देवेंद्र फडणवीस ने सीएजी की रिपोर्ट में लगे आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि नवी मुंबई मेट्रो रेल और नेरुल उरन रेलवे लाइन से जुड़े सभी टेंडर्स पर फैसला 2014 में हमारी सरकार आने से पहले ही लिया जा चुका था। शहरी और औद्योगिक विकास प्राधिकरण खुद एक स्वायत्त संस्था है और इसके द्वारा लिया गया कोई भी फैसला मुख्यमंत्री तक नहीं आता।
अजित पवार को भाजपा में शामिल होते ही मिली थी क्लीन चिटः सीएजी की यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने वाले अजीत पवार खुद भी इससे पहले सिंचाई घोटाले से जुड़े एक मामले में आरोपी थे। हालांकि, महाराष्ट्र में पिछले साल हुए राजनीतिक उठापटक में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके कुछ ही देर बाद भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद कर दिए थे। एसीबी ने कहा था कि जो नौ केस बंद किए गए हैं, उनका वास्ता अजित पवार से नहीं है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार बनने के बाद अजित पवार को विदर्भ सिंचाई घोटाले के मामले में क्लीन चिट मिल गई थी।