विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर संविधान, न्यायपालिका और नियमावली (ट्रांजेक्शन आफ बिजनेश रूल्स) का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नौकरशाह राजेंद्र कुमार को मुख्यमंत्री बचाने का प्रयास इसीलिए कर रहे हैं कि राजेंद्र कुमार की सीबीआइ जांच से आप सरकार के कार्यकाल में हुए भर्ती घोटाले समेत अन्य घोटाले भी सामने आ जाएंगे। इससे दिल्ली सरकार के भ्रष्ट न होने के दावे की पोल खुल जाएगी। मुख्यमंत्री सहित आप सरकार के अनेक मंत्रियों को भी जेल की हवा खानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से डीडीसीए पर गठित जांच आयोग को उपराज्यपाल ने अवैध करार दिया है।

दिल्ली सरकार ने दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) की जांच के लिए सिर्फ इसलिए एक सदस्यीय जांच आयोग बैठाया है ताकि राजेंद्र कुमार के मामले को दबाकर जनता को गुमराह किया जा सके। इसके पहले भी सीएनजी किट के मामले में दिल्ली सरकार ने अपनी अधिकार सीमा से बाहर जाकर जांच आयोग का गठन किया था। उसे भी केंद्र सरकार ने गैरकानूनी बताया था। इसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में केस दायर केंद्र के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने स्थगनादेश नहीं दिया। यह मामला आज भी अदालत में विचाराधीन है। मामले के अदालत में विचाराधीन होने के बाद भी मुख्यमंत्री ने अदालत की अवमानना करते हुए दोबारा जांच आयोग गठित कर दिल्ली में संवैधानिक और न्यायिक संकट खड़ा करने की कोशिश की है।

गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार से पूछताछ के दौरान सीबीआइ को दिल्ली सरकार द्वारा डाटा एंट्री आपरेटरों की भर्ती में भारी भ्रष्टाचार किए जाने के सबूत मिले हैं। राजेंद्र कुमार के ईमेल एकाउंट से मिली आॅडियो क्लिपिंग्स से यह सामने आया है कि राजेंद्र कुमार अपने चहेते ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों को मौखिक आदेश दे रहे थे। सीबीआइ अपनी पूछताछ और जांच को जैसे-जैसे आगे बढ़ा रही है, उसे नए-नए घोटाले मिल रहे हैं। ये घोटाले बताते हैं कि दिल्ली की आप सरकार से मिलकर राजेंद्र कुमार ने करोड़ों रुपए की चोट सरकारी खजाने को लगाई है। इन मामलों में सीबीआइ नई एफआइआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है।