विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की और मांग रखी कि निर्माण व अन्य कार्यों में लगे 12 लाख से भी अधिक श्रमिकों द्वारा 2002 से उपकर (सेस) के रूप में जमा कराई गई 1700 करोड़ रुपए की राशि में से 1100 करोड़ रुपए गैर कानूनी तरीके से अन्य मदों में लगाने की जो स्वीकृति दी गई है, उसे तुरंत वापस लिया जाए। इसके साथ ही श्रमिकों की स्वीकृत पेंशन 3000 रुपए प्रतिमाह और 300 रुपए प्रतिवर्ष की वृद्धि को घटाकर 1000 रुपए करने का निर्णय भी वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रमिकों की ओर से दिए गए उपकर में से विज्ञापन के लिए जो राशि खर्च की है, उसे तुरंत श्रमिकों के खाते में जमा करवाया जाए।
उन्होंने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने श्रमिकों की जो राशि विज्ञापनों पर खर्च की है, वह बिल्कुल अनुचित है और उसे वापस श्रमिकों के खाते में जमा कराया जाए। अदालत ने ये आदेश नेशनल कैंपिंग कमेटी फॉर सेंट्रल लेजिसलेशन आॅन कंस्ट्रक्शन लेवल की रिट पिटीशन पर सुनवाई के दौरान दिए थे। गुप्ता ने बताया कि 2 जून को दिल्ली भवन व अन्य निर्माण श्रमिक बोर्ड की 29वीं बैठक में केंद्र सरकार के आदेशों, अधिनियम की धाराओं व विभिन्न अदालतों के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए फैसला किया गया कि श्रमिकों के दिए गए उपकर में से 1100 करोड़ रुपयों विभिन्न कार्यों में लगाया जाएगा।