कर्नाटक में बेंगलुरु दक्षिण से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के एक बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने बुधवार (5 अगस्त, 2020) को ट्वीट कर कहा कि हिंदुओं द्वारा सत्ता पर नियंत्रण धर्म के निर्वाह के लिए बहुत जरुरी है। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के समय उन्होंने ट्वीट किया।

29 वर्षीय सांसद ने ट्विटर पर कहा, ‘प्रिय हिंदुओं… सबसे महत्वपूर्ण सबक ये है कि हिंदुओं द्वारा राज्य की सत्ता पर नियंत्रण धर्म के निर्वाह के लिए बहुत आवश्यक है। जब हमने राज्य को नियंत्रित नहीं किया तो हमने अपना मंदिर खो दिया। जब हम वापस आए हमने पुनर्निर्माण किया। साल 2014 में 282 और 2019 में 303, पीएम मोदी ने इसे संभव बनाया है।’

इधर भाजपा नेता के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व सरकारी वकील बीटी वेंकटेश ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सांसद का बयान स्वागत योग्य कथन नहीं है जो एक बड़े और शिक्षित शहर के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका बयान पूरी तरह से संविधान की भावना के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि ये भारत के संविधान में निर्दिष्ट मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के विपरीत है। संसद के सदस्य के रूप में उन्होंने जो शपथ ली है। वेंकटेश ने आगे कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और प्रत्येक प्रतिनिधि पूरे देश में नागरिकों के बीच एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कर्तव्यबद्ध है।

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इसी बीच बेंगलुरु के कार्यकर्ता और वकील लिओ सल्दान्हा ने संविधान की पवित्रता को ‘नीचे लाने’ की कोशिश के लिए भाजपा सांसद के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान किसी की व्यक्तिगत व्याख्या के लिए नहीं बनाया गया है। एक चुने हुए प्रतिनिधि के रूप में भाजपा नेता का काम संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना है, ना कि अपने व्यक्तिगत एजेंडे को जो संविधान विरोधी लगता है।

भाजपा सांसद के बयान के बाद लिओ सल्दान्हा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उप राष्टपति वेंकैया नायडू से उन्हें निलंबति करने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति प्लीज ध्यान दें कि तेजस्वी सूर्या ने भारत के विचार की रक्षा के लिए अपनी शपथ को तोड़ दिया है।