बिहार में चल रहे जातिगत सर्वे के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ तैयार हो गए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने पहले इसे लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन वकील अपनी फरियाद लेकर सीधे सीजेआई की कोर्ट में जा पहुंचा। उसकी दलील थी कि नीतीश कुमार का ये फैसला सरासर गलत है। इसका गलत असर जाएगा। सीजेआई ने तफसील से वकील की बात सुनने के बाद उसे आश्वस्त किया कि आप चिंता मत करें। मैं खुद देखूंगा कि ये जातिगत सर्वे का फैसला सही है या गलत। आप 28 अप्रैल को तैयारी के साथ आए।

15 अप्रैल से शुरू हो चुका है जातिगत सर्वे, 15 मई को होगा खत्म

नीतीश कुमार की सरकार ने 15 अप्रैल से बिहार में जातिगत सर्वे करा रही है। ये 15 मई तक चलेगा। एडवोकेट ने सरकार के फैसले को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की एक दूसरी बेंच से सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन 20 जनवरी को बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की कोई तुक नहीं बनती। बेंच का कहना था कि आप चाहें तो पटना हाईकोर्ट में जाकर फरियाद लगा सकते हैं।

लेकिन एडवोकेट को लगा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ही नीतीश सरकार पर नकेल डाल सकता है। लिहाजा वो फरियाद लेकर सीजेआई के पास सीधे चला गया। उसने चंद्रचूड़ से कहा कि वो तत्काल इस मामले की सुनवाई नहीं करेंगे तो इसके परिणाम खतरनाक भी हो सकते हैं। उसका कहना था कि सरकार जातिगत सर्वे कराकर लोगों को बांटने का काम कर रही है। वो अपने फायदे के लिए इस तरह की कवायद कर रही है।

भारत में आखिरी बार 1931 में हुई थी जातिगत जनगणना

भारत में आखिरी बार जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी। उस समय ब्रिटिश शासन था। आजाद भारत में इस तरह की कवायद पहले कभी नहीं हुई। बिहार के सीएम नीतीश कुमार इसके खासे हिमायती हैं। लेकिन बीजेपी को लगता है कि राजद के साथ जाने के बाद वो मुस्लिम और जातीय समीकरणों को साधने के लिए ये सर्वे करा रहे हैं।

हालांकि नीतीश मानते हैं कि ये अच्छी कसरत है। इससे सरकार को एक अच्छा डाटा मिलेगा। वो जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को असेंबली में रखेंगे। उसके बाद सरकार इसके हिसाब से फैसले लेगी। उनका कहना है कि ये सारे देश में होनी चाहिए। उनका कहना है कि वो अपनी इस मांग को संसद में भी रख चुके हैं। लेकिन केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है। बिहार इसे शुरू करा चुका है। ये फैसले पूरे देश के लिए नजीर बन जाएगा। दूसरे सूबे भी जातिगत जनगणना को लेकर कवायद शुरू जरूर करेंगे।