बिहार के पटना में ‘इंदिरा गांधी हृदय संस्थान’ के निदेशक एवं कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनील कुमार अपना इलाज पटना स्थित जयप्रभा मेदांता हॉस्पिटल में करा रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेदांता हॉस्पिटल पहुंचे। सीएम नीतीश कुमार ने इस मुलाकात की फोटो भी अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर शेयर कर दी, जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स उन पर ही सवाल उठाने लगे और पूछने लगे कि आपने पिछले 17 सालों में क्या किया?

नीतीश कुमार ने शनिवार को फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बताया, “आज पटना स्थित जयप्रभा मेदांता हॉस्पिटल जाकर ‘इंदिरा गांधी हृदय संस्थान’ के निदेशक एवं कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुनील कुमार जी के स्वास्थ्य की जानकारी ली।डॉ सुनील जी के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।” नीतीश कुमार के इसी फेसबुक पोस्ट को लेकर उनके ऊपर लोग निशाना साधने लगे।

जयराम विप्लव नाम के यूजर ने फेसबुक पर नीतीश कुमार के पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा, “IGIMS के डायरेक्टर को जब हार्ट अटैक आया तो वो भी मेदांता गए, खुद के संस्थान में इलाज करवाने का रिस्क नही लिए। अब समझ आया मुख्यमंत्री बिहार मॉडल की चर्चा से भी क्यों डरते हैं?” वहीं आशुतोष मिश्र नाम के यूजर ने लिखा, “मतलब बिहार का सरकारी हृदय संस्थान इस लायक नहीं है कि अपने निदेशक का इलाज कर सके। स्वस्थ होने के बाद इस निदेशक को शर्म से मर जाना चाहिए, साथ में बिहार सरकार को भी।”

बिहार में डॉक्टरों की कमी

बता दें कि दो हफ्ते पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने समीक्षा बैठक की थी और उसके बाद पता चला था कि राज्य के जिला अस्पतालों में 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं बहाल रखने के लिए अस्पतालों में डॉक्टर और महिला रोग विशेषज्ञ की काफी कमी है। डॉक्टरों की कमी की वजह से 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं और आईसीयू की सेवाएं प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट में अनुशंसा की गई थी कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता तो है ही और आईसीयू शिफ्ट में चलाने के लिए हर हाल में कम से कम 5 विशेषज्ञों की जरूरत है।

वहीं बिहार में फार्मासिस्टों की भी भारी कमी है। फार्मासिस्टों के 3049 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इन्हीं फार्मासिस्ट के जिम्मे 40 हजार सरकारी व निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। दरअसल किसी भी संस्थान से दवा की खरीद-बिक्री का काम फार्मासिस्टों के बगैर नहीं किया जा सकता। बिहार में 1932 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 306 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 4126 पद स्वीकृत किये गये हैं। राज्य में सिर्फ 1077 फार्मासिस्ट ही कार्यरत हैं, जबकि 3049 पद रिक्त हैं।