Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री इस वक्त अपने बयानों विवादित चलते सुर्खियों में बने हुए हैं। उनके बयानों को देखें और समझें तो कहा जा सकता है कि नीतीश खुद बीजेपी को हथियार थमा बैठे हैं। कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने आबादी नियंत्रण को लेकर विधानसभा में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसकी चारों तरफ आलोचना हुई। हालांकि, विवाद बढ़ता देख बाद में उन्होंने माफी मांग ली। अब वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर टिप्पणी को लेकर चर्चा में हैं।

विधानसभा में आरक्षण को लेकर विधेयक पर चर्चा के दौरान हुआ था ड्रामा

पिछले गुरुवार को बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार आरक्षण को लेकर विधेयक पर चर्चा के दौरान जीतनराम मांझी पर भड़क गए। नीतीश कुमार ने यहां तक कह दिया कि उनकी गलती और मूर्खता के कारण ही जीतनराम मांझी बिहार के सीएम बने थे। यह सुनकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हैरान रह गए।

इस पर सदन से बाहर आकर जीतनराम मांझी ने कहा, ‘उनका दिमाग अभी ठीक नहीं है। ये बहुत असंतुलित हो गए हैं। मर्यादा लांघ रहे हैं। हम उनसे चार साल बड़े हैं और राजनीतिक जीवन में भी हम उनसे बड़े है। तुम-ताम कर के बोल रहे हैं।’

इसके बाद मांझी ने नीतीश कुमार पर पलटवार करते हुए एक्स पर लिखा, ‘नीतीश कुमार अगर आपको लगता है कि आपने मुझे मुख्यमंत्री बनाया यह आपकी भूल है। नीतीश कुमार अपनी कमजोरी छिपाने के लिए एक दलित पर ही हमला कर सकते हैं।’

मांझी एक वक्त नीतीश कुमार के करीबी लोगों में गिने जाते थे। पहले वे जनता दल (यू) में थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी बना ली, लेकिन वे पिछले कुछ वर्षों के दौरान कभी एनडीए गठबंधन तो कभी महागठबंधन में आते रहे। वर्तमान में वो एनडीए के साथ हैं।

पिछले गुरुवार को बिहार विधानसभा में आरक्षण को लेकर चर्चा हो रही थी। नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का दायरा 65 फ़ीसदी तक बढ़ाने का विधेयक पेश किया। जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। अब यह विधेयक राज्यपाल के पास जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है।

वहीं सदन से बाहर निकलते ही मांझी ने नीतीश पर पलटवार किया। बीजेपी उनके इर्द-गिर्द लामबंद हो गई। शिक्षित महिलाओं और परिवार नियोजन पर अपनी अभद्र टिप्पणियों के लिए नीतीश को हाथ जोड़कर माफी मांगने के लिए मजबूर होने के एक दिन बाद ही पैदा हुए विवाद पर अपनी रणनीति तैयार करने के लिए एनडीए सहयोगियों ने भी मांझी के आवास पर बैठक की।

2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश और मांझी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसे में बीजेपी के लिए यह एक हथियार के रूप में काम करेगा, जो नीतीश को बैकफुट पर लाने में कुछ हद तक कामयाब हो सकता है। वहीं नीतीश कुमार महादलितों के निर्वाचन क्षेत्र जो कि पासवान समुदाय को छोड़कर विभिन्न अनुसूचित जातियों (एससी) का एक समूह है उसमें सेंध लगाने के अवसर के रूप में देख रहे हैं।

मांझी नीतीश पर “मुशहर सीएम का अपमान” करने का आरोप लगाते रहे हैं। विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मापदंडों पर सबसे पिछड़े समुदायों में से, मुशहर और डोम को महादलित समूह का हिस्सा माना जाता है।

मांझी ने पूछा- नीतीश कुमार ने मुझे सीएम बनाकर कोई अहसान किया

14 नवंबर को पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने पूछा-क्या नीतीश कुमार ने 2014 में मुझे सीएम बनाकर मुझ पर कोई एहसान किया था? मांझी ने कहा कि वास्तव में, वह (नीतीश) मुझे दलित सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करके अपने महादलित निर्वाचन क्षेत्र को और मजबूत करना चाह रहे थे। लेकिन जब मैंने सीएम के तौर पर अपने फैसले खुद लेने की कोशिश की तो नीतीश ने मुझसे सत्ता छीन ली और दोबारा सीएम बन गए। यह सभी अनुसूचित जाति के अपमान के अलावा और कुछ नहीं था। मेरे खिलाफ उनके अपशब्दों ने यह साबित कर दिया कि मुझे एक पदधारी मुख्यमंत्री बनाया गया है।

जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन मांझी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी नीतीश के प्रति “सतर्क” रहने की सलाह दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। पिछले शुक्रवार को उन्होंने यहां तक दावा किया था कि उनकी कुर्सी के लालच में उनके सहयोगियों द्वारा नीतीश के भोजन में जहरीला पदार्थ मिलाया जा रहा है।

‘उम्र में नीतीश कुमार मुझसे छोटे हैं’

मांझी ने दोहराया कि वह उम्र में नीतीश से वरिष्ठ हैं (79 वर्षीय मांझी, नीतीश से सात साल बड़े हैं) और अनुभव (नीतीश के विधायक बनने से पांच साल पहले, मांझी पहली बार 1980 में विधायक चुने गए थे)।

HAM (S) (Hindustani Awam Morcha (Secular)  के एक नेता ने कहा, ‘नीतीश कुमार ने वास्तव में हमारी राजनीति को पुनर्जीवित किया है। हम आने वाले लोकसभा चुनाव में भी नीतीश द्वारा दलित अपमान को लोगों के बीच ले जाएंगे। वहीं इस मामले को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उठाया है। उन्होंने कहा कि मांझी का अपमान करके नीतीश ने शायद एक बड़ी राजनीतिक गलती की है।’

वह चुनावी राज्य तेलंगाना में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी की हालिया टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिसमें पीएम ने मांझी के खिलाफ नीतीश के हमलों का हवाला देते हुए विपक्षी इंडिया गुट को “दलित विरोधी” कहा था।

मांझी का मुकाबला करने के लिए नीतीश ने दलित मंत्रियों को उतारा

जद (यू), जिसने शुरू में मांझी की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं देने की रणनीति अपनाई थी, उसने अब उनका मुकाबला करने के लिए अपने दलित मंत्रियों को मैदान में उतारा है। भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने कहा, ”सीएम ने विधानसभा में जो कहा वह सच है। क्या मांझी ने कभी सीएम बनने का सपना देखा था? मांझी ने खुद स्वीकार किया कि नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम बनाया है।”

एक अन्य जद (यू) दलित मंत्री रत्नेश सदा, जो मांझी की तरह ही मुसहर समुदाय से हैं, उन्होंने कहा, “क्या मांझी हमें बता सकते हैं कि उन्होंने साथी मुसहरों के लिए क्या किया है? उन्होंने सिर्फ अपने परिवार को फायदा पहुंचाया है।’ मांझी को मुसहरों का नेता होने का भ्रम भी नहीं पालना चाहिए।’

दलित, जो बिहार की आबादी का 19.65% हैं, उसको अस्थायी मतदाताओं का निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है। दलित मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा पिछले कई चुनावों से नीतीश का समर्थन कर रहा है, जिसे भाजपा अब इस प्रयास में मांझी का उपयोग करके उनसे दूर करने की कोशिश कर रही है। यह कि एलजेपी (रामविलास पासवान) भी एनडीए सहयोगी है, भाजपा के अभियान को मजबूत कर सकती है, जिससे मांझी की सौदेबाजी की शक्ति में भी वृद्धि देखी जा सकती है।

2014 लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने मांझी को बनाया था सीएम

मई 2014 में मांझी जद (यू) के साथ थे, जब 2014 के संसदीय चुनावों में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने उन्हें सीएम के रूप में नामित किया था। हालांकि, नीतीश विधानसभा चुनाव से पहले फरवरी 2015 में सीएम के रूप में कार्यभार संभालने के लिए लौट आए, जिसके बाद उन्होंने लालू प्रसाद के नेतृत्व वाले राजद के साथ सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा।