Bihar Electoral Roll Review: बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में रविवार को इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) के सभी घटक दलों के नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने निर्वाचन आयोग द्वारा करवाए जा रहे स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। राजद नेता ने कहा कि बीएलओ (BLO) के माध्यम से लोगों को जो फार्म दिया जा रहा है, उसमें दस्तावेज के बिना सिर्फ दस्तखत करवाकर फॉर्म वापस ले लिए जा रहे हैं।
सूत्रों को लेकर बरसे तेजस्वी
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग स्वयं सामने आने की बजाय सूत्रों के हवाले से खबर प्लांट करवा रहा है ताकि इसकी आड़ में खेला कर सके। तेजस्वी ने कहा कि ये वही सूत्र हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा कर चुके थे। इस दौरान तेजस्वी यादव ने एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें देवघर में बिहार के मतदाताओं के लिए बनाए गए फार्म पर जलेबियां बेची जा रही है। वहीं कई जगहों पर मतदाताओं को दिए जाने वाले फार्म सड़कों पर फेंके पाए गए हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने दावा किया है कि 80.11 प्रतिशत मतदाताओं ने गणना प्रपत्र भर दिए हैं, लेकिन यह नहीं बताया गया कि इनमें से कितने प्रपत्र सत्यापित, स्वेच्छिक और वैध तरीके से भरे गए हैं। जमीनी सतह से लगातार यह सूचना मिल रही है कि बिना मतदाता की जानकारी और उनके बिना सहमति के बीएलओ के द्वारा फर्जी अंगूठा या हस्ताक्षर लगाकर प्रपत्र अपलोड किए जा रहे हैं।
स्पष्ट आदेश या अधिसूचना अब तक जारी नहीं हुई- तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दस्तावेज बाद में भी दिए जा सकते हैं, लेकिन इस बारे में कोई स्पष्ट आदेश या अधिसूचना अब तक जारी नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दस्तावेजों में लचीलापन लाने की सलाह के बावजूद, निर्वाचन आयोग ने कोई औपचारिक संशोधित अधिसूचना जारी नहीं की है, जिससे जमीनी सतह पर बीएलओ और मतदाता दोनों भ्रमित हैं।
‘हर विधानसभा से करीब 3200 लोगों के नाम काटने की संभावना’
तेजस्वी यादव ने कहा कि एक परसेंट भी वोटर्स अगर छूट जाए तो करीब 790000 लोगों का वोट कट जाएगा। करीब 3251 वोटर्स का हर एक विधानसभा में नाम कटेगा। उन्होंने 2020 चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि 5000 वोटों से हारने वाली आरजेडी की 52 सीट थी। 1% वोटरों के नाम काटने पर यदि औसत जोड़ा जाए तो हर विधानसभा से 3200 लोगों का नाम काटने की संभावना है।
पूर्व डिप्टी सीएम ने पत्रकार वार्ता में एक वीडियो के माध्यम से यह दिखाया कि बिहार में मतदाताओं के लिए तैयार किया गया मतपत्र कैसे देवघर की सड़कों पर फेंका गया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि इन 4.66 करोड़ डिजिटाइज्ड फॉर्म में से कितनों को आधार से वेरिफिकेशन हुआ है। यानी चुनाव आयोग फर्जी अपलोडिंग की संभावनाओं पर चुप्पी साधे हुए है।
फार्म के अपलोडिंग पर सवाल
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों की भागीदारी का उल्लेख तो किया गया है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि उनके द्वारा क्या वास्तविक निरीक्षण की इन्हें भूमिका दी गई है या सिर्फ उपस्थिति की सूचना ही दर्ज की जा रही है? कई जिलों में विपक्षी दलों के बीएलए को सूचित नहीं किया गया है और प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी से रोका गया है। इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।
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राजद नेता ने कहा कि जल्दी-जल्दी में जिस तरह से वोटरस के प्रपत्र अपलोड किए जा रहे हैं। उसके कारण चुनाव आयोग की विश्वसनीयता खत्म हो रही है। बीएलओ और ईआरओ के द्वारा अपलोडिंग का अनौपचारिक लक्ष्य थोपे जाने की कई रिपोर्ट आ चुकी हैं। आयोग ने इस पर कोई स्पष्टीकरण, खंडन या नियंत्रण का उपाय नहीं बताया, जिससे पूरा अभियान गैर-पारदर्शी बन गया है।
डिजिटाइजेशन पर तेजस्वी ने उठाए सवाल
निर्वाचन आयोग के डिजिटाइजेशन पर सवाल उठाते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट में सफलता के दावे किए गए हैं, लेकिन जमीनी सतह पर कहीं सर्वर डाउन, ओटीपी की समस्या, लॉगीन एरर, दस्तावेज अपलोड फेल, गलत मैपिंग जैसी गंभीर तकनीकी समस्याएं लगातार सामने आई हैं। तकनीकी शिकायतों की लगातार अनदेखी की जा रही है। बीएलओ या मतदाता को कोई सपोर्ट सिस्टम, टिकटिंग पोर्टल या हेल्पलाइन उपलब्ध नहीं कराई गई है।
‘SIR एक आई वॉश’
आरजेडी नेता कहा कि 25 जुलाई की समय सीमा के पहले ही अपलोडिंग पूरा करने की बात कही जा रही है, जिससे गुणवत्ता और वैधता की जगह संख्या और गति पर जोर है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव आयोग की यह एसआईआर प्रक्रिया एक आई वॉश है। चुनाव आयोग ने बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर बूथ के आंकड़ों के हिसाब से पहले ही जोड़-तोड़ कर रखा है,लेकिन हम भी कम नहीं हैं और एक-एक वोटर पर हमारी नजर है और सबका आंकड़ा हमारे पास है। केस सुप्रीम कोर्ट में है।
‘बिहार को गुजरात समझने की गलती न करें’
तेजस्वी यादव ने कहा कि अबकी बार बिहार से आर-पार होगा। सत्ताधारी बिहार को गुजरात समझने की गलती ना करें। यह लोकतंत्र की जननी है। सबक सिखा देंगे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजेार नहीं होने देंगे। यहां 90 फीसदी मतदाता वंचित उपेक्षित वर्ग से है। उनकी रोटी छीन सकते हो लेकिन वोट का अधिकार नहीं। इसके लिए महागठबंधन पूरी तरह से सजग है। बिहार से जो लोग पलायन कर गए हैं, उनका अपलोडींग कैसे हो गया?
पूर्व डिप्टी सीएम ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि चुनाव आयोग की गरिमा, पारदर्शिता और निष्पक्षता की रक्षा के लिए विधानसभा वार प्रतिदिन लाईव डैसबोर्ड का इस्तेमाल करने की मांग की है, ताकि आंकड़ों में पारदर्शिता और सच्चाई हो। हमने निरंतर मांग की है कि गणना प्रपत्र भरने पर मतदाता को उसकी पावती दी जाए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग का दावा है कि हर मतदाता को दो प्रतियां दी जाती हैं। एक भर कर वापस ली जाती है और दूसरी पावती के रूप में मतदाता के पास रहती है। जमीनी सच्चाई यह है कि अधिकांश मतदाताओं को मात्र एक ही गणना प्रपत्र दिया गया है। किसी को पावती या रसीद नहीं दी जा रही है, जिससे मतदाता यह प्रमाणित भी नहीं कर पा रहा कि उसका फॉर्म स्वीकार हुआ है या नहीं?
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राजद नेता ने कहा कि न ही कोई ऐसा सिस्टम है, जिससे मतदाता यह जान सके कि उसका फॉर्म स्वीकार हुआ या नहीं, उसमें कोई गलती तो नहीं है, दस्तावेज पूर्ण हैं या नहीं। पावती या फॉर्म स्टेटस की कोई ट्रैकिंग नहीं हो रही है। पावती नहीं देने, फॉर्म के बिना दस्तावेज अपलोडिंग, और एकतरफा अपलोडिंग की यह पूरी प्रक्रिया ‘मतदाता के सूचित सहमति के अधिकार का उल्लंघन है’ जो भविष्य में नाम कटने, आपत्ति खारिज होने, या पक्षपातपूर्ण व्यवहार की आशंका को बढ़ाता है।
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग का हर बीएलओ द्वारा तीन बार संपर्क करने का दावा सिर्फ कागजी दावा है। अधिकांश मतदाता तो ऐसे हैं, जिनके पास बीएलओ आज तक नहीं पहुंचे। यह पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की मूल भावना के विरुद्ध है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीएलओ को उच्चाधिकारियों द्वारा मौखिक आदेश दिए गए हैं कि किसी भी हाल में 25 जुलाई तक लक्ष्य (टारगेट) को पूरा करें, चाहे मतदाता मिलें या न मिलें।
चुनाव आयोग पर भड़के तेजस्वी
मीडिया ने जब तेजस्वी यादव से पूछा कि निर्वाचन आयोग के सूत्रों के तरफ से यह कहा जा रहा है कि नेपाल बांग्लादेश एवं म्यांमार के लोग भी बिहार में मतदाता बन गए हैं। उस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिसे यह लोग अपना सूत्र के हवाले से खबर चला रहे हैं, उन सूत्र को वह मूत्र समझते हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग स्वयं सामने आने की बजाय सूत्रों के हवाले से खबर प्लांट करवा रहा है ताकि इसकी आड़ में खेला कर सके। ये वही सूत्र हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा कर चुके थे. इसलिए हम ऐसे सूत्र को मूत्र समझते हैं. मूत्र यानी ऐसा अपशिष्ट पदार्थ जो दुर्गंध फैलाता है।
इस संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव के अलावे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी, सीपीआईएमएल के धीरेंद्र कुमार झा, सीपीआई के ललन चौधरी और सीपीएम के रामबाबू प्रसाद मौजूद रहे। वहीं, चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार ही नहीं पूरे देश में होगा वोटर लिस्ट का रिवीजन। पढ़ें…पूरी खबर।