बिहार में राजनीतिक हलचल तेज है और जेडीयू-बीजेपी के बीच गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कहा जा रहा है कि एनडीए के सहयोगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी नेतृत्व से नाराज हैं। इसी बीच आरजेडी ने सीएम नीतीश कुमार को खुला ऑफर दिया है। वहीं सूत्रों के हवाले से जानकारी आई है कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की है।
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश की नजदीकियां लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी से एक बार फिर बढ़ गई हैं। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार पाला बदलने जा रहे हों, उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में अब तक चार बार बदलाव किया और सत्ता की जिम्मेदारी संभाली। चूंकि नीतीश की पार्टी राज्य में सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए राजद, कांग्रेस और वाम मोर्चे के साथ गठजोड़ कर रही है। चार दशक से ज्यादा के राजनीतिक करियर में नीतीश कुमार ने चार बार अपनी राजनीतिक निष्ठा बदली है।
जनता दल से हुए अलग: नीतीश मार्च 1990 में बिहार की राजनीति में तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने तत्कालीन जनता दल में लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनने में मदद की। उन दिनों नीतीश लालू को अपना बड़ा भाई कहते थे। नीतीश ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1985 में नालंदा जिले की हरनौत सीट से जीता था। 1989 में वह बाढ़ इलाके से जनता दल के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए।
1991 के मध्यावधि चुनाव में उन्होंने फिर से बाढ़ इलाके से जीत हासिल की। हालांकि, 1994 में नीतीश ने लालू के खिलाफ बगावत की और जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई। 2003 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व वाली समता पार्टी और शरद यादव के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) का विलय हो गया।
एनडीए से अलग की राहें: 16 जून 2013 को भाजपा ने नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया तो नीतीश कुमार नाराज हो गए और उन्होंने भाजपा के साथ अपने 17 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया। उस समय नीतीश कुमार ने कहा था, “भाजपा नए दौर से गुजर रही है। जब तक बिहार गठबंधन में बाहरी हस्तक्षेप नहीं था, तब तक यह सुचारू रूप से चला। बाहरी हस्तक्षेप होने पर समस्याएं शुरू हुईं।”
बनाया महागठबंधन: 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के साथ ‘महागठबंधन’ बनाया। विधानसभा चुनाव में आरजेडी और जेडीयू ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 80 सीटों पर जीत हासिल की। जेडीयू ने 71 सीटों पर कब्जा किया। नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता चुने गए और पांचवीं बार सीएम के रूप में शपथ ली।
मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा: 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उस वक्त उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। तेजस्वी से इस्तीफे की मांग तेज हुई थी। जिसके बाद नीतीश पर दबाव बढ़ा तो उन्होंने खुद इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद नीतीश कुमार ने कहा था, “मैंने गठबंधन को बचाने की पूरी कोशिश की थी। मैंने किसी का इस्तीफा नहीं मांगा, बस तेजस्वी से उनके खिलाफ आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था। ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल हो गया था। ये मेरी अंतरआत्मा की आवाज है।”
जिसके बाद जेडीयू ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की मदद से सरकार बनाई। 27 जुलाई को नीतीश कुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
