बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी प्रमुख दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेता वर्चुअल माध्यमों के द्वारा जनता के बीच जा रहे हैं। वहीं अन्य दल भी अपने तरीकों से प्रचार के काम में जुटे हैं। इसी बीच अपनी अलग शैली के लिए मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने भी एक खास एलान किया है। वैशाली जिले में एक भागवत कथा सुनने गए तेज प्रताप ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, “अगर इस बार हमारी सरकार आई तो सभी जगह भागवत कथा और यज्ञ करवाएंगे।”
तेज प्रताप यादव ने अपने संबोधन में कथा सुनने आये श्रद्धालुओं को भागवत कथा को अपने जीवन में उतारने की सलाह दी। इस दौरान उन्होंने बांसुरी भी बजा के सुनाई। यह सब करने के समय कार्यक्रम स्थल पर एक गाय दिखाई दी। उसे देखकर उन्होंने कहा, ” यह गौ माता है और आज से मैं इनका एक नया नाम देता हूं। इनका नाम कामधेनु माता रहेगा। इनका दूध, माखन खीर प्रसाद के तौर पर सभी लोग खाने का काम करेंगे।” इस दौरान तेज प्रताप यादव ने बांसुरी और शंख बजाने को लेकर बीजेपी नेता को खुला चैलेंज दिया कि मेरे जैसा कोई है बीजेपी में बांसुरी बजाने वाला तो सामने आए।
परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि से इतर तेजप्रताप अक्सर भक्ति भाव में लीन दिखाई देते हैं। पिछले साल सावन के महीने में उन्होंने भगवान शिव का वेश धारण करके रुद्राभिषेक में हिस्सा लिया था। उनका यह अवतार तब सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था। कभी देवघर यात्रा के दौरान वे शिव के वेश में त्रिशूल लिए हुए दिखाई दिए। इसके अलावा पिछली जन्माष्टमी में वे कृष्ण के रूप में भी नज़र आये थे। मुख्यधारा की राजनीति से अलग तेज प्रताप अपने इन्हीं अतरंगी कामों के लिए ज्यादा चर्चा में रहते हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर अक्सर उनके फोटो और बयानों को लेकर मीम्स बनते रहते हैं।
चुनाव के मद्देनजर कुछ नेताओं को लगता है कांग्रेस अभी पूरी तैयारी में नहींः कांग्रेस के भीतर जारी उथल-पुथल के बीच कुछ नेताओं का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी पूरे दमखम से तैयारी नहीं कर रही है, लेकिन चुनाव की रणनीति बना रहे पार्टी पदाधिकारी “समान विचारों” वाले दलों के साथ जल्दी ही गठबंधन होने के प्रति आश्वस्त हैं। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कुछ पार्टियों द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव टालने की मांग किए जाने के बावजूद अक्टूबर-नवंबर में समय पर चुनाव होने की संभावना है। इस चुनाव को भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और संयुक्त विपक्ष के बीच बड़ी राजनीतिक जंग के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार में सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का आधार कांग्रेस से अधिक मजबूत है और ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस इस हालत में नहीं है कि राज्य में विपक्षी राजनीतिक दलों का नेतृत्व कर सके। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व और अन्य संगठनात्मक मुद्दों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मतभेद जाहिर होने से कांग्रेस का चुनावी समीकरण और सीटों के तालमेल का गणित प्रभावित हो सकता है। पार्टी पदाधिकारियों का हालांकि मानना है कि 23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे पत्र से उपजे विवाद से बिहार चुनाव में कांग्रेस की तैयारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इन मसलों के अलावा इस बार सभी दलों को कोविड-19 के मद्देनजर चुनाव प्रचार अभियान के नए तरीके अपनाने होंगे। (भाषा इनपुट्स के साथ)