बिहार की राजनीति में कभी ‘हाशिए’ पर रहे संजय जायसवाल का भाजपा में आते ही भाग्योदय हो गया। साल 2005 में उन्होंने आरजेडी के टिकट पर बेतिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद साल 2009 में वो भाजपा में शामिल हो गए और पश्चिम चंपारण से तीन बार लोकसभा चुनाव जीता। 2019 के सितंबर महीने तक उन्हें भाजपा बिहार इकाई का अध्यक्ष बना दिया गया।

हालांकि भाजपा जायसवाल का प्राकृतिक घर रहा है। उनके पिता मदन प्रसाद जायसवाल आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे थे और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। तीन बार लोकसभा सांसद रहे मदन प्रसाद ने 1996 से 2004 तक बेतिया लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधि किया। भाजपा जब बिहार इकाई के लिए अध्यक्ष का चयन कर रही थी तब इसने जायसवाल के पक्ष में काम किया। क्योंकि वैश्य समुदाय के जायसवाल प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अच्छी तरह फिट बैठते हैं।

जायसवाल के पक्ष में एक बात ये भी रही कि भाजपा प्रदेश इकाई में किसी भी गुट ने उनका दृढ़ता से विरोध नहीं किया। हालांकि कई लोग उनकी तरक्की को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की काट के रूप में देख रहे हैं। माना जाता है कि जायसवाल राज्य में भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव के विश्वासपात्र हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों से तारीफ मिलीं, और निचले सदन में उन्हें पार्टी का मुख्य सचेतक भी नियुक्त किया गया।

भाजपा नेताओं का कहना है कि जायसवाल के पिता हमेशा उन्हें अपनी राजनीतिक विरासत देने चाहते थे, हालांकि उनके भाई दीपक भी राजनीतिक में हैं। बता दें कि जायसवाल ने पटना मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया है, उसके बाद दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमडी किया। उनकी पत्नी भी एक डॉक्टर हैं।

उल्लेखनीय है कि साल 2005 के चुनाव में जायसवाल ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ना स्वीकार किया क्योंकि सीनियर जायसवाल की उन्हें भाजपा से टिकट दिलाने की कोशिश नाकाम रही। तब उस चुनाव में उन्हें सिर्फ सात हजार वोट मिले और चौथे पायदान पर रहे। उस चुनाव में भाजपा नेत्री रेनू देवी ने जीत दर्ज की थी।