बिहार के डीजीपी एस के सिंघल के पास सितंबर महीने में एक फोन आता है और फोन करने वाला व्यक्ति खुद को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बताता है। इसके बाद डीजीपी भी उसे सर कहकर संबोधित करने लगते हैं। फोन करने वाला व्यक्ति चाहता है कि एक आईपीएस को शराब के एक मामले में क्लीन चिट मिल जाए।

बाद में पता चला कि फोन करने वाला एक ठग था, जो कथित तौर पर आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार के इशारे पर काम कर रहा था। आदित्य कुमार जूनियर पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से शराब गिरोहों को बचाने के आरोप में फरवरी में गया के एसएसपी के पद से हटाये गए थे।

डीजीपी सिंघल ने कॉल आने के एक महीने बाद 14 अक्टूबर को बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) में शिकायत की। हालांकि ठग अभिषेक अग्रवाल को उसके तीन साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। बिहार पुलिस के ईओयू ने उन सभी और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

बिहार के अतिरिक्त डीजीपी (मुख्यालय) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “एक ठग द्वारा डीजीपी को कॉल और आईपीएस अधिकारी के खिलाफ रिपोर्ट बंद करने को एक साथ नहीं देखा जाना चाहिए। इस मामले में आदित्य कुमार को अग्रिम जमानत मिल गई है। यह सच है कि मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई थी लेकिन यह मामले में जांच के निष्कर्षों पर आधारित थी।”

राज्य पुलिस मुख्यालय को मगध रेंज के आईजी अमित लोढ़ा से शराब गिरोहों को बचाने में कथित संलिप्तता के बारे में रिपोर्ट मिलने के बाद आदित्य कुमार को गया एसएसपी के पद से हटा दिया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया था और फतेहपुर पुलिस ने तत्कालीन एसएसपी के खिलाफ शराब कारोबारियों को बचाने का मामला दर्ज किया था। बाद में अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया था।

ईओयू के डिप्टी एसपी भास्कर रंजन ने 15 अक्टूबर को एसपी को अपनी रिपोर्ट में लिखा, “अभिषेक ने आदित्य के साथ मिलकर बिहार के डीजीपी एसके सिंघल को पटना एचसी के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के रूप में व्हाट्सएप और सामान्य कॉल करके साजिश रची। वह एक राहुल रंजन जायसवाल (पांच आरोपियों में से एक) के फोन नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं। डीजीपी अभिषेक को ‘सर, सर’ कहकर संबोधित कर रहे थे।”