Sushil Modi Struggling Cancer: भाजपा के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को कैंसर हुआ है। इस बात की जानकारी उन्होंने बुधवार को खुद अपने एक्स हैंडल पर साझा की। सुशील मोदी ने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बता दिया है कि मैं चुनाव में कुछ नहीं कर पाऊंगा।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने एक्स पर लिखा, ‘पिछले 6 माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूँ । अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है । लोक सभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊँगा । PM को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।’
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने सुशील मोदी के स्वास्थ्य पर कहा कि मैं बहुत दुखी हूं। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
जेपी आंदोलन की उपज हैं सुशील मोदी
नीतीश कुमार और सुशील मोदी बिहार में 70 के दशक के जेपी आंदोलन की उपज हैं। आरएसएस से जुड़े रहे सुशील कुमार मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में हुई।
1990 में पहली बार विधानसभा पहुंचे
1990 में सुशील कुमार मोदी ने पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे। साल 2004 में वे भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने। यहीं से नीतीश कुमार के साथ उनका साथ शुरू होता है। वो दौर ऐसा था जब नीतीश कुमार बड़े नेता थे और भाजपा जूनियर पार्टनर थी।
बीजेपी को जदयू की B टीम बनाने का आरोप
सुशील मोदी पर आरोप लगते रहे हैं कि उप-मुख्यमंत्री के उनके लंबे कार्यकाल के दौरान भाजपा जनता दल यूनाइटेड की बी-टीम बन कर रह गई थी। साल 2005 में जहां भाजपा को 55 सीटें मिली थीं, 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार 102 सीटों पर लड़े जिनमें 91 पर विजयी हुए। जदयू को 115 सीटें मिलीं। लेकिन एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और सुशील मोदी उप-मुख्यमंत्री।
क्या इस वजह से साइडलाइन हो गए सुशील मोदी
कहा तो यहां तक जाता है कि सुशील मोदी के साइडलाइन होने की वजह गुजरे दिनों की घटनाएं और बयान हैं, खासकर उन दिनों जब नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर उभर रहे थे। सुशील मोदी को लाल कृष्ण आडवाणी का नज़दीकी माना जाता था।