Bihar Chunav 2025: कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद विपक्षी महागठबंधन बिहार की 11 सीटों पर फ्रेंडली फाइट को रोकने में नाकाम रहा। कांग्रेस ऐसी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें से पांच सीटों पर उसका मुकाबला तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी और चार सीटों पर भाकपा (माले) से है। आरजेडी और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) दो सीटों पर आमने-सामने हैं।

अहम बात यह कि महागठबंधन में जिन 11 सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रही है, उनमें से 7 सीटें एनडीए के पास हैं। एक पर बीएसपी प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी, जो कि बाद में जेडीयू के पास चले गए थे। अन्य सीटों पर विपक्ष के पास हैं। इस चुनाव में जहां 2020 में दोनों गठबंधनों के बीच वोट शेयर का अंतर 0.03 प्रतिशत और 15 सीटों का अंतर था। ऐसे में 11 सीटों पर दोस्ताना मुकाबला निर्णायक साबित हो सकता है।

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इन सीटों पर होगी कांग्रेस-आरजेडी में फ्रैंडली फाइट

वैशाली विधानसभा सीट- यह सीट वर्तमान में जेडीयू के सिद्धार्थ पटेल के पास है, जिन्होंने कांग्रेस के संजीव सिंह को 7,413 मतों से हराया। दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार दोहराए हैं, लेकिन आरजेडी ने अजय कुमार कुशवाहा को मैदान में उतारा है, वे 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में 17% वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

कहलगांव विधानसभा सीट- यह निर्वाचन क्षेत्र कभी दिग्गज कांग्रेस नेता पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष और पार्टी के कुर्मी चेहरे सदानंद सिंह से जुड़ा था, जिन्होंने 1969 से 2015 के बीच नौ बार इसका प्रतिनिधित्व किया। कांग्रेस ने पांच साल पहले उनके बेटे शुभानंद मुकेश को मैदान में उतारा था लेकिन वह भाजपा के पवन कुमार यादव से 42,893 मतों से हार गए थे।

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खास बात यह है कि मुकेश जेडीयू में चले गए हैं और कहलगांव से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि बीजेपी ने रविवार को पवन कुमार यादव को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण निष्कासित कर दिया। अपने पुराने गढ़ को फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस ने 2020 के पटना साहिब उम्मीदवार प्रवीण सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है और राजद ने रजनीश भारती को टिकट दिया है, जिनके पिता और राजद नेता संजय प्रसाद यादव झारखंड सरकार में मंत्री हैं।

नरकटियागंज सीट: 2020 में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी, जहां बीजेपी की रश्मि वर्मा ने अपने देवर और मौजूदा कांग्रेस विधायक विनय वर्मा को हराया था, जिनके परिवार के पास पश्चिम चंपारण में शिकारपुर एस्टेट का स्वामित्व था। 2022 में, यूपी टीईटी पेपर लीक मामले में अपने भाई की गिरफ्तारी के बाद वर्मा पर इस्तीफे की मांग उठी थी। इस बार पार्टी ने उनकी जगह संजय पांडे को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने बिहार के पूर्व सीएम केदार पांडे के पोते शाश्वत केदार को उम्मीदवार बनाया है।

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सिकंदरा विधानसभा सीट: कांग्रेस ने बिनोद कुमार चौधरी को उस सीट से मैदान में उतारा है, जहां से केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने पांच साल पहले कांग्रेस को 5,505 वोटों से हराया था। आरजेडी नेता ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को मैदान में उतारा है, जबकि हम (सेक्युलर) ने मौजूदा विधायक प्रफुल्ल कुमार मांझी को फिर से टिकट दिया है।

सुल्तानगंज विधानसभा सीट: यह सीट 2005 से जेडीयू के पास है। कांग्रेस ने ललन कुमार को मैदान में उतारा है और आरजेडी ने चंदन कुमार सिंह को टिकट दिया है, जबकि सत्तारूढ़ दल ने मौजूदा विधायक ललित नारायण मंडल को मैदान में उतारा है।

कांग्रेस और सीपीआई के बीच इन सीटों पर दोस्ताना लड़ाई

बछवाड़ा विधानसभा सीट: पिछली बार सीपीआई के अब्देश कुमार राय बीजेपी के सुरेंद्र मेहता से 484 वोटों से हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने बिहार युवा कांग्रेस के अध्यक्ष शिव प्रकाश गरीब दास को मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2020 का चुनाव निर्दलीय के तौर पर लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा ने मेहता को फिर से उम्मीदवार बनाया है।

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बिहारशरीफ विधानसभा सीट: आरजेडी के सुनील कुमार 2020 में भाजपा के डॉ. सुनील कुमार से 15,102 मतों से हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने अपने 10 मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक उमर खान को मैदान में उतारा है, जबकि भाकपा (माले) ने शिव कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने इस विधायक को फिर से टिकट दिया है।

राजापाकर विधानसभा सीट: पिछली बार यहां कांग्रेस ने जेडीयू को 1,796 वोटों से हराया था। इस बार पार्टी ने मौजूदा विधायक प्रतिमा कुमारी को मैदान में उतारा है, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी ने 2020 की हार का बदला लेने के लिए महेंद्र राम को मैदान में उतारा है। भाकपा (माले) ने मोहित पासवान को मैदान में उतारा है।

करगहर विधानसभा सीट: कांग्रेस ने 2020 में यहाँ जदयू को 4,083 मतों से हराया था। इस बार पार्टी ने मौजूदा विधायक संतोष कुमार मिश्रा को मैदान में उतारा है, जबकि भाकपा (माले) ने महेंद्र प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया है। जदयू ने पूर्व विधायक बशिष्ठ सिंह को फिर से टिकट दिया है, जो पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे थे।

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वीआईपी और आरजेडी के बीच इन सीटों पर टकराव

गौरा बौराम विधानसभा सीट: मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2020 में एनडीए का हिस्सा रहते हुए यह सीट जीती थी। तब, इसके उम्मीदवार स्वर्ण सिंह ने आरजेडी के अफजल अली खान को 7,280 मतों से हराया था। इस बार पार्टी के अध्यक्ष संतोष सहनी, जो पार्टी के संस्थापक और महागठबंधन के उपमुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मुकेश सहनी के छोटे भाई उम्मीदवार हैं, जबकि राजद ने खान को फिर से मैदान में उतारा है।

चैनपुर विधानसभा सीट: सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस सीट पर 2020 में बसपा के मोहम्मद ज़मा खान ने जीत हासिल की थी, जो बाद में जदयू में शामिल हो गए और नीतीश कुमार सरकार में मंत्री बने। आरजेडी ने पूर्व विधायक बृज किशोर बिंद को मैदान में उतारा है जो 2020 में भाजपा के टिकट पर दूसरे स्थान पर रहे थे। यह सीट जेडीयू को आवंटित होने के बाद, बिंद सितंबर में राजद में शामिल हो गए थे। वीआईपी के उम्मीदवार इसके प्रदेश अध्यक्ष गोविंद विंद हैं, जबकि ज़मा खान इस सीट को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे।

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कई सीटों पर कांग्रेस ने वापस लिए प्रत्याशी

अगर सहयोगियों के बीच आखिरी समय में समझौता न होता तो “दोस्ताना मुकाबलों” की संख्या और भी ज़्यादा हो सकती थी। कांग्रेस ने लालगंज (वैशाली ज़िला), प्राणपुर (कटिहार) और वारसलीगंज (नवादा) से अपने उम्मीदवार वापस ले लिए। इन तीनों सीटों पर आरजेडी चुनाव लड़ रहा है। वीआईपी की बिंदु गुलाब यादव ने भी बाबूबरही (मधुबनी) से अपना नामांकन वापस ले लिया, जहां आरजेडी नेता अरुण कुमार सिंह मौजूदा जेडीयू विधायक मीना कुमारी से मुकाबला करने वाले हैं। 2020 में आरजेडी यहां दूसरे स्थान पर रही थी।

रोसरा में भी सीपीआई और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने वाला था लेकिन वामपंथी दल के उम्मीदवार का नामांकन पत्र जांच के दौरान खारिज कर दिया गया, जिससे विपक्षी गठबंधन की ओर से केवल कांग्रेस ही मैदान में रह गई। इसी तरह रामनगर (पश्चिम चंपारण) में कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने के बाद महागठबंधन की ओर से आरजेडी मैदान में है।

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि इन 11 दोस्ताना मुकाबलों का विपक्ष की चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सभी 243 सीटों पर लोग तेजस्वी यादव जी को वोट देंगे। इन सीटों पर महागठबंधन की जीत होगी। संभावना है कि इन सीटों पर अन्य सहयोगी दलों के उम्मीदवार मतदान से पहले ही राजद को औपचारिक रूप से समर्थन देने की घोषणा कर दें।

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