कोरोना महामारी से अभी देश पूरी तरह से निजात नहीं पा सका है, लेकिन तमाम हिदायतों और चेतावनी के बाद भी लोग लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सरकारी गाइडलाइन में भी यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य है। मास्क नहीं लगाने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी हो रही है। उनसे लापरवाही के लिए जुर्माना भी वसूला जा रहा है। लेकिन लगता है बिहार के भागलपुर में व्यापारियों की संस्था ईस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों को इसकी चिंता नहीं है। शनिवार को एक कार्यक्रम में जिले की एसएसपी के साथ मौजूद पदाधिकारियों ने मास्क लगाना जरूरी नहीं समझा। यह नियमों का साफ उल्लंघन है। पुलिस की कार्रवाई आम लोगों पर दिख रही है, बड़े लोगों पर नहीं। हालांकि एसएसपी निताशा गुड़िया मास्क लगाई हुई थीं।

कई शहरों में भी कोरोना का प्रकोप अब भी अपना असर दिखा रहा है। यों भागलपुर नौगछिया पुलिस ज़िला एसपी सुशांत कुमार सरोज के मुताबिक शनिवार को विभिन्न थानों में चलाए गए अभियान के तहत 58 लोगों को बगैर मास्क पकड़ा गया है। इनसे 2900 रुपए बतौर जुर्माना वसूले गए हैं, मगर भागलपुर में अभियान सुस्त पड़ गया है। इसकी ताजी मिसाल चेंबर आफ कॉमर्स की गोष्ठी है।

दरअसल शनिवार की शाम चेंबर ने नई एसएसपी के साथ व्यापारियों की सुरक्षा और अपराध को लेकर परिचर्चा का आयोजन किया। इसमें चुनिंदा सदस्यों को बुलाया गया था। कुछ व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चेंबर के पदाधिकारी ऐसा आयोजन नए अधिकारियों के बीच अपनी पैठ जमाने के ख्याल से करते रहते है। व्यापारियों की सुरक्षा तो राम भरोसे है। रोजाना छिनतई की वारदातें ज़िले में होती रहती है। हाल ही में करीब एक किलो 850 ग्राम सोना विशाल स्वर्णिका ज्वेलर्स का लूट लिया गया। इस मामले में पुलिस के हाथ अब भी खाली है।

एक विवाह स्थल पर आयोजित व्यापारियों की इस गोष्ठी में व्यापारियों और चेंबर के पदाधिकारियों ने न तो मास्क लगाया और न ही सुरक्षित दूरी का पालन किया। यह कानून का उल्लंघन है। एसएसपी निताशा गुड़िया जरूर पूरे समय मास्क लगाए रहीं, मगर उन्होंने भी नियम तोड़ने वालों पर कोई प्रतिक्रिया न देकर इसकी अनदेखी ही की।

भागलपुर पुलिस वाहन चेकिंग तो करती है। हेलमेट और सीट बेल्ट न लगाने वालों से जुर्माना भी वसूलती है। परन्तु मास्क और सुरक्षित दूरी बनाए रखने के कानून की खुलेआम अनदेखी करती है। इस बीच कोरोना पीड़ितों के आंकड़ों में गिरावट आई है, मगर ऐसा भी नहीं है कि बिहार से कोरोना महामारी एकदम से खत्म हो गई हो। राज्य स्वास्थ्य महकमा के मुताबिक अभी भी 501 सक्रिय मरीज इलाज करा रहे है। यह सुखद बात है कि ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 99.22 फीसदी तक पहुंच गया है। फिर भी बेपरवाही खतरनाक रूप ले सकती है। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल के कोरोना वार्ड प्रभारी डॉ. हेमशंकर शर्मा कहते है कि सतर्कता व सावधानी ही अब भी बचाव है। यही डॉक्टरों की जरूरी सलाह भी है।