Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कलाकारों का भी खूब दम दिख रहा है। ‘माटी को सोना करने वाली कलाकारी है जी’, इस टाइटल के साथ बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने एक नया गाना रिलीज किया है और गीत के जरिए बिहारी गौरव का जश्न मनाने के विचार को आगे बढ़ा रहे हैं। ये गाना आज कल काफी चर्चा में है और इसी तरह अलग-अलग राजनीतिक दलों के लिए संगीत के माध्यम से भी प्रचार हो रहा है।
मनोज तिवारी का य गाना सिंगापुर स्थित इंजीनियर और निर्माता शैलेन्द्र सिंह द्वारा “भोजपुरी भाषा में स्वच्छ कंटेंट बनाने के लिए जाने जाते हैं। ये गाना भोजपुरी आईटी सेल द्वारा दो सप्ताह पहले जारी हुआ था। इस गाने में मनोज तिवारी बिहारी होने के विचार में अक्सर देखी जाने वाली कुछ हद तक आत्म-चेतना और बेचैनी को उत्सव और गर्व की बात में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
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बिहार से आने वाले लेखकों जिक्र
खास बात यह है कि बीजेपी सांसद ने इस गाने में बिहार से आने वाले कुछ प्रसिद्ध लेखकों का जिक्र किया है। इसमें फणीश्वर नाथ रेणु और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर शामिल हैं। मनोज तिवारी का ये गाना आम तौर पर भोजपुरी उत्तेजक गानों और आटोट्यून से अलग है। इसमें नालंदा विश्वविद्यालय के साथ-साथ कुंवर सिंह का जिक्र किया है, जिन्होंने भोजपुर क्षेत्र से 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। इसके अलावा इस गीत में समाजवादी नेता जेपी नारायण के बारे में भी बात की गई है।
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गीतकार ने कही ‘बिहारीपन’ की बात
मुंबई के गीतकार अतुल कुमार राय मूल रूप से बिहार से हैं। उन्होंने यह गीत चुनावी एजेंडे के तौर पर नहीं, बल्कि इसलिए लिखा क्योंकि इस समय मीडिया में बिहार की चर्चा हो रही है। अतुल राय कहते हैं कि यह गीत किसी खास पार्टी को वोट देने के लिए नहीं कहता लेकिन क्योंकि मनोज जी इसे गा रहे हैं और यह बिहार चुनाव से पहले रिलीज़ हुआ था इसलिए कई लोगों ने मान लिया कि यह भाजपा के लिए है।
गीतकार अतुल कुमार राय ने कहा कि उन्हें लगता है कि बिहार के और बिहार से आने वाले गीत बिहारीपन की भावना को नहीं दर्शाते। राय कहते हैं कि ये गीत जातिवाद, क्षेत्रवाद और अतिवाद की बात करते हैं। मैं चाहता था कि इंस्टाग्राम पीढ़ी, यानी युवा, बिहार की असली कहानी और इतिहास को भी अपने साथ ले जाएं। इसका असर अप्रत्याशित रहा है। लोगों को यह गीत बहुत पसंद आया है।” इस गीत को आठ लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है।
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म्यूजिक के जरिए लुभाने की कोशिश
खास बात यह है कि बिहार के छोटे-छोटे स्टूडियो में म्यूजिक डायरेक्टर लेकर और गीतकार और गायक पिछले कुछ महीनों से नारों और धुनों को उन गांवों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां चुनावी रैली या रोड शो नहीं पहुंच पाते हैं। विकास से लेकर प्रवास और अपनेपन को उजागर करने, पहचान समझाने और छठ के भजनों को चुनावी विचारों में बदलने तक, ये गीत बिहारी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
मैथिली और पवन सिंह भी जमा रहे रंग
अलीनगर से बीजेपी उम्मीदवार मैथिली ठाकुर अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान मतदाताओं से सीधे तौर पर यह गीत गा रही हैं कि “काकी वोट दिया हे, अलीनगर के बनवाई हम विधायक (काकी, कृपया मुझे वोट दें और मुझे अलीनगर का विधायक बनाएं)”। कुछ इसी तरह अभिनेता-गायक से राजनेता बने पवन सिंह का गीत “जोड़ी मोदी और नीतीश जी की हिट होई” भी काफी लोकप्रिय हो रहा है, न केवल बिहार की धूल भरी गलियों में बल्कि ऑनलाइन भी, जहां इसे 11 लाख बार देखा गया है।
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खास बात यह है कि पवन सिंह ने खुद का बीजेपी का सिपाही बताते हुए चुनावी दौड़ से हटने का ऐलान किया था। पिछले साल उन्हें एनडीए के आधिकारिक उम्मीदवार, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था ।
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तेजस्वी के समर्थन में कई गाने
महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार और राजद नेता तेजस्वी यादव के सोशल मीडिया पर भी कई गाने सामने आए हैं जिनमें “तेजस्वी अबकी अइहे गे, रोशन सवेरा लायी हेगे” और “कसम बिहार की, अबकी ये सरकार बदल देंगे” और “नाकाम निकम्मी” जैसी पंक्तियां शामिल हैं। सत्ता के सिंहासन को पलटेंगे (हम इस असफल और बेकार सरकार का तख्ता पलट देंगे)” है।
नीतीश के लिए भी जबरदस्त गाने
म्यूजिक लेबल और स्टूडियो लक्ष्मी ऑडियो वीडियो द्वारा निर्मित एक छठ गीत में नीतीश चाचा को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कही गई है। इसी स्टूडियो में “प्रशांत किशोर भैया” और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के तरीके के बारे में, साथ ही “तेजस्वी भैया” और लोगों को लालटेन (राजद का चुनाव चिन्ह लालटेन) को वोट देने के तरीके के बारे में भी गाया गया है। इस साल की शुरुआत में, दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान, शैलेंद्र सिंह ने पूर्वांचल के लोगों तक पहुंचने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के लिए तिवारी के “हिंद का सितारा” का भोजपुरी संस्करण भी लिखा था ।
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