बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई जारी रहेगी। मंगलवार को जैसे ही अदालत ने उनकी जमानत की सुनवाई शुरू की, उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उनकी गिरफ्तारी को “मनमाना” कहा।
23 वर्षीय आर्यन के बचाव टीम में शामिल रोहतगी ने न्यायमूर्ति नितिन डब्ल्यू साम्ब्रे की एकल-न्यायाधीश पीठ को बताया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने उनसे कोई वसूली नहीं की थी, न ही किसी की मादक पदार्थ का सेवन करने की जांच के लिए चिकित्सा परीक्षण ही किया था।
आर्यन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने भी कहा कि ऑनलाइन पोकर पर उनके और एक दोस्त के बीच व्हाट्सएप चैट को ड्रग्स के बारे में एनसीबी “गलत मतलब” निकाल रही है। आर्यन 2 अक्टूबर से हिरासत में है, जब उसे एक क्रूज जहाज पर एक कथित रेव पार्टी से पहले हिरासत में लिया गया था।
मंगलवार को उच्च न्यायालय में लिखित रूप से आर्यन ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक द्वारा एनसीबी मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ लगाए गए आरोपों तथा मामले में गवाहों के संबंध से खुद को अलग कर लिया। बचाव पक्ष ने कहा कि आर्यन का “बेकार” राजनीतिक विवाद से कोई लेना-देना नहीं है।
आर्यन ने पिछले बुधवार को विशेष एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) अधिनियम अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। एनडीपीएस कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हालांकि आर्यन के पास कोई ड्रग्स नहीं मिला था, लेकिन वह इस तथ्य से अवगत था कि उसका दोस्त अरबाज मर्चेंट उन्हें ले जा रहा है, और यह “कब्जे में रखने की जानकारी होने” के बराबर है।
रोहतगी ने तर्क दिया कि “रखे होने की जानकारी” के मामले में भी एक साल की कैद का प्रावधान है। “ये युवा लड़के हैं। यहां तक कि अगर आप 6 ग्राम के ‘रखे होने की जानकारी’ को स्वीकार करते हैं, तो विचार यह है कि कानून उन युवा लड़कों को बड़े अपराधियों की तरह शिकार के रूप में नहीं मानता है। वे पुनर्वास के हकदार हैं और उनका बचाव होना चाहिए है। यह जमानत के लिए एक उपयुक्त मामला है।”