प्रयागराज में अतीक अहमद और भाई अशरफ समेत गोली मारकर हत्या कर दी गई। उमेश पाल हत्याकांड में वांछित अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर मोहम्मद गुलाम का यूपी एसटीएफ ने गुरुवार (13 अप्रैल) को एनकाउंटर कर दिया। दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम था। माफिया डॉन अतीक अहमद अपने बेटे असद अहमद की पुलिस एनकाउंटर में मौत की खबर के बाद से ही सदमे में था। पूरी रात वह लॉकअप में बैठा ही रहा और उसने किसी से कोई बात भी नहीं की। अतीक का कहना था कि ये सब मेरी वजह से हुआ है, मेरी वजह से ही असद अपराध में आ गया।

‘मिट्टी में मिल गए हैं, हमारी औरतों- बच्चों को परेशान न करें’: अतीक अहमद

इससे पहले बुधवार (12 अप्रैल) को जब उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए प्रयागराज ले जाया जा रहा था तब गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद ने पुलिस वैन की खिड़की के अंदर से बाहर मीडियाकर्मियों से कहा, “बिल्कुल मिट्टी में मिल गए हैं। अब हमारी औरतों और बच्चों को परेशान न करें।’

अतीक अहमद के लिए बदल गया वक्त

ऐसा लगता है कि अतीक के लिए अब वक्त बदल गया है। प्रयागराज में चार दशकों से अधिक समय तक मजबूत-राजनेता के रूप में जाना जाने वाले माफिया का यह कहना कि ‘मिट्टी में मिल गए हैं’, उसकी हार ही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा भी था, “इस माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा।” मुख्यमंत्री बसपा विधायक राजू पाल की 2005 की हत्या के मुख्य आरोपी उमेश पाल की गोली मारकर हत्या किए जाने के एक दिन बाद बोल रहे थे। इस मामले में अतीक आरोपी था।

उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत के आधार पर धूमनगंज थाने में अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटे असद, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अतीक अपहरण के एक मामले में 2019 से गुजरात की साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है।

अतीक पर योगी सरकार का एक्शन

असद को गोली मारने से कुछ दिन पहले प्रयागराज पुलिस ने मुठभेड़ों में अतीक के दो सहयोगियों को मार गिराया था और 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। यूपी पुलिस ने अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और उमेश पाल को गोली मारने वाले पांच लोगों के बारे में सूचना देने वाले को इनाम देने की भी घोषणा की। अतीक के दो नाबालिग बच्चे प्रयागराज के संरक्षण गृह में हैं।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) ने अतीक अहमद के सहयोगियों के चार घरों को भी ध्वस्त कर दिया, जिसमें दो साल पहले पीडीए द्वारा उनका घर को गिराए जाने के बाद शाइस्ता अपने बच्चों के साथ रह रही थी। माफिया पर कार्रवाई के तहत योगी सरकार ने पिछले 6 सालों में अतीक के गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया है। साथ ही उसकी और उसके सहयोगियों की लगभग 800 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त या ध्वस्त करने का दावा किया है।

1979 में अतीक के खिलाफ दर्ज हुआ था हत्या का पहला मामला

अतीक की कसारी मसारी गांव से अपराध और राजनीति की दुनिया तक की यात्रा एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से शुरू हुई। उसके पिता हाजी फिरोज अहमद प्रयागराज में तांगा चलाते थे। जबकि अतीक अपने पैतृक कसारी मसरी गांव में स्कूल जाता था, परिवार बाद में चकिया चला गया। अतीक के एक और पड़ोसी सैफुल्ला कहते हैं, “चकिया में ही अतीक का पहली बार अपराध की दुनिया से सामना हुआ था। अतीक को तांगा चलाना पसंद नहीं था इसलिए वह गलत लोगों के साथ घूमता था। जल्द ही उसने अपना गिरोह बना लिया, जिसमें ज्यादातर गांव के लुटेरे थे। उसके गिरोह के शुरुआती सदस्यों में से अधिकांश ओबीसी गद्दी समुदाय के सदस्य थे।”

सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी लालजी शुक्ला ने कहा कि अतीक अहमद के खिलाफ पहला हत्या का मामला 1979 में प्रयागराज के खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। बाद में वह जबरन वसूली और जमीन हड़पने सहित अन्य अपराधों में शामिल हो गया।

राजनीति में अतीक अहमद की एंट्री

1980 के दशक तक अतीक ने राजनीति में किस्मत आजमाने का फैसला कर लिया था। 1989 में अतीक ने अपना पहला चुनाव इलाहाबाद पश्चिम से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा। अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम से उस चुनाव को जीत लिया और अगले दो विधानसभा चुनावों 1991 और 1993 में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बरकरार रखा। 1996 में सपा ने अतीक के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। उस साल अतीक चौथी बार इलाहाबाद पश्चिम से सपा के टिकट पर जीता था। उसके तीन साल बाद अतीक अपना दल में शामिल हो गया और 2002 में फिर से सीट जीत ली। 2004 तक वह सपा में वापस आ गया और इस बार फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से जीता। आखिरी चुनाव अतीक ने 2019 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और हार गया।

राजू पाल हत्याकांड

जनवरी 2005 में बसपा के राजू पाल के विधानसभा चुनाव जीतने के लगभग तीन महीने बाद, अपने घर जा रहे थे जब उनकी और उनके दो सहयोगियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमले में तीन अन्य घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, राजू पाल की हत्या के पीछे मुख्य मकसद 2005 का विधानसभा उपचुनाव था जिसमें उन्होंने अतीक के छोटे भाई अशरफ को हराया था। अशरफ इलाहाबाद पश्चिम सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। अगस्त 2019 में सीबीआई द्वारा मामले को हाथ में लेने के तीन साल बाद एजेंसी ने अतीक और अशरफ सहित 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।

24 फरवरी 2023 को राजू पाल के चचेरे भाई उमेश पाल की उनके धूमनगंज स्थित आवास के बाहर दो बंदूकधारियों के साथ हत्या कर दी गई थी। उमेश के परिवार ने अतीक पर हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह राजू पाल की हत्या के गवाह थे।