Tinsukia Killings: तिनसुकिया जिले में सेना के उग्रवाद रोधी अभियान में पांच युवकों के मारे जाने के 29 साल बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रत्येक परिवार को 20-20 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया है। गुरुवार की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ ने कहा, ‘यह मामला आज बंद कर दिया गया है। माननीय अदालत ने भारत सरकार को आदेश दिया है कि वह पांच मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा दे। कि हत्याओं की प्रकृति का पता लगाने की कोशिश करने के लिए एक बार फिर न्यायिक जांच शुरू करने के बजाय मुआवजे के साथ लगभग 30 साल पुराने मामले को बंद करना अधिक उपयुक्त होगा।
याचिका 1994 में दायर की गई थी
पांच युवकों- प्रबीन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबजीत बिस्वास, अखिल सोनोवाल और भूपेन मोरन को कथित तौर पर 17 फरवरी, 1994 और 19 फरवरी, 1994 के बीच सेना के जवानों द्वारा एक चाय बागान प्रबंधक की मौत के बाद उनके घरों से उठा लिया गया था और उनको मार दिया गया था।शव 23 फरवरी, 1994 को डिब्रू सैखोवा रिजर्व फॉरेस्ट से बरामद किए गए थे। सभी पांचों पुरुष ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) से जुड़े थे। विचाराधीन याचिका 1994 में ही दायर की गई थी, जब युवक लापता हो गए थे और यह मामला तब से चल रहा है।
2018 में मेजर जनरल सहित सेना के सात लोगों का किया गया था कोर्ट मार्शल
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत के आदेश पर मौतों की जांच की और सात सैन्य कर्मियों को गैरकानूनी हत्याओं के लिए जिम्मेदार पाया। 2018 में इन हत्याओं के सिलसिले में एक मेजर जनरल सहित सेना के सात लोगों को कोर्ट मार्शल के माध्यम से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, एक अपील में 2019 में सेना में सक्षम प्राधिकारी ने कहा कि कर्मी फर्जी मुठभेड़ के दोषी नहीं थे।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बरुआ ने कहा कि हत्याओं की प्रकृति का पता लगाने की कोशिश करने के लिए एक बार फिर न्यायिक जांच शुरू करने के बजाय कहा कि मुआवजे के साथ लगभग 30 साल पुराने मामले को बंद करना अधिक उपयुक्त होगा। उन्होंने कहा कि हमारा विचार है कि एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश करने के बजाय हम इस स्थिति को स्वीकार करते हैं कि उपरोक्त पांच लोगों की मौत एक सैन्य अभियान के दौरान हुई थी। हम प्रतिवादियों को आदेश देते हैं कि वे पांच मृतक व्यक्तियों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजे का भुगतान करें।