चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के बीच हुआ तनाव अभी शांत नहीं हो सका है। बार ने कपिल सिब्बल और एक दूसरे वकील को केवल इस वजह से नोटिस थमा दिया कि उन्होंने बेवजह सीजेआई से माफी मांगी। लेकिन इसी बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाते हुए रेल दावा बार एसोसिएशन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया। हाईकोर्ट इस बात से नाखुश था कि रेल दावा बार एसोसिएशन ने रिटायर जस्टिस की निय़ुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए याचिका दायर की थी।
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस एम प्रतिभा सिंह ने रेल दावा बार एसोसिएशन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जज चाहें सिटिंग हो या फिर रिटायर, बगैर कारण के उनके ऊपर लांछन लगाने का अधिकार किसी को नहीं है। इसे अदालत बर्दाश्त नहीं करने जा रही। बार ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन के तौर पर रिटायर जस्टिस के एस आहलूवालिया की फिर से नियुक्ति को लेकर एतराज जताया था। बार ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में की गई नियुक्तियों को लेकर केंद्र को आदेश जारी करे कि इन्हें फिर से किया जाए।
जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा कि याचिका केवल सही तरीके से गठित किए गए ट्रिब्यूनल को भंग करने के लिए है। उन्होंने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चाहें सिटिंग जज हों या फिर रिटायर, किसी पर भी बेवजह लगाए गए लांछन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। याचिकाकर्ता का कहना था कि रिटायर जस्टिस केएस आहलूवालिया की रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति सही नहीं है। वो इस पद के योग्य नहीं हैं। लिहाजा हाईकोर्ट आदेश जारी करे कि केंद्र सरकार उनकी नियुक्ति को खारिज करके फिर से ट्रिब्यूनल का गठन करे।
याचिका में आरोप, सुप्रीम कोर्ट के जज के समधी हैं आहलूवालिया
याचिका में कहा गया था कि ट्रिब्यूनल के पुराने अध्यक्ष का कार्यकाल जब पूरा हुआ तो सिलेक्शन कमेटी ने जस्टिस अजीत सिंह को ट्रिब्यूनल का चेयरमैन बनाने का फैसला किया था। लेकिन जब उन्होंने ये पद लेने से इनकार कर दिया तब आहलूवालिया का नाम सामने आ गया। याचिका में कहा गया था कि आहलूवालिया को ये चेयरमैनशिप इस वजह मिली, क्योंकि वो सुप्रीम कोर्ट के एक जज के समधी हैं। ये वजह ही उनकी नियुक्ति की वजह बनी।
दूसरी तरफ केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में सिलेक्शन कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने हाईकोर्ट के 6 जजों के नाम सुझाए थे। उसके बाद रिटायर जस्टिस आहलूवालिया का नाम फाइनल किया गया था।