Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी होना है। इसको लेकर मंदिर ट्रस्ट के साथ-साथ सरकार ने भी पूरी तैयारी कर ली है। 16 जनवरी से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत तिवारी ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन मुख्य यजमान पीएम मोदी होंगे। वहीं प्रतिष्ठा पूर्व अनुष्ठान के लिए मुख्य यजमान डॉक्टर अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा होंगी। मिश्रा ने राम मंदिर आंदोलन में काफी अहम भूमिका निभाई थी।

वाराणसी के लक्ष्मीकांत दीक्षित अनुष्ठान के प्रधान पुजारी हैं। दीक्षित ने कहा कि पीएम मोदी प्रतिष्ठा दिवस अनुष्ठान के मुख्य यजमान होंगे। उन्होंने बताया कि संस्कृत में यजमान का अर्थ ऐसे व्यक्ति या संरक्षक से जो अनुष्ठान या यज्ञ करता है।

कौन हैं डॉक्टर अनिल मिश्रा?

अनिल मिश्रा सरकार द्वारा गठित राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। अयोध्या निवासी डॉ. मिश्रा पिछले चार दशकों से शहर में अपना होम्योपैथिक क्लिनिक चला रहे हैं। उनका जन्म यूपी के अंबेडकर नगर जिले में हुआ। कुछ साल पहले वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड के रजिस्ट्रार और गोंडा के जिला होम्योपैथिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। आरएसएस के सक्रिय सदस्य के रूप में उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया। 1981 में उन्होंने बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी में डिग्री हासिल की। अनिल मिश्रा का आरएसएस के पुराने सिपाही हैं। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

सरयू में डुबकी लगाकर मिश्रा ने शुरू किया व्रत

मंगलवार को जैसे ही पूर्व-अनुष्ठान शुरू हुआ। मुख्य यजमान होने के नाते डॉ. मिश्रा ने सरयू नदी में डुबकी लगाई और फिर व्रत शुरू करने से पहले पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) लिया। फिर उन्होंने प्रश्चिता, संकल्प, कर्मकुटी पूजा की। उन्होंने और उनकी पत्नी ने हवन किया।

बुधवार को डॉ. मिश्रा और उनकी पत्नी ने कलश पूजन किया, जिसके बाद बर्तनों में सरयू नदी से जल भरकर उस स्थान पर ले गए। जहां अनुष्ठान किया जा रहा है। दूसरे दिन भगवान रामलला की मूर्ति ने आंखें बंद कर मंदिर परिसर का भ्रमण किया। दूसरे दिन जलयात्रा, तीर्थ पूजा, ब्राह्मण-बटुक-कुमारी-सुवासिनी पूजा, वर्धिनी पूजा, कलशयात्रा और मूर्ति का भ्रमण निर्धारित था। कुल 121 पुजारी अनुष्ठान कर रहे हैं और वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ इस पूरी पूजा पद्धति की देखरेख कर रहे हैं।