महाराष्‍ट्र, झारखंड, हरियाणा, नॉर्थ-ईस्‍ट, बंगाल, यूपी… ये सभी वो राज्‍य हैं, जहां पर 2014 से पहले बीजेपी का बेस बहुत मजबूत नहीं था। अमित शाह के कमान संभालने के बाद इन सभी राज्‍यों में बीजेपी मजबूत स्थिति में आ गई। यह सच है कि बंगाल में बीजेपी चुनाव हार गई, लेकिन जितनी सीटें उसे पिछले विधानसभा चुनाव में मिलीं उतनी पहले कभी नहीं आईं। बीजेपी के लिए इस समय पूरे उत्‍तर भारत एक ही राज्‍य है, जहां पर उसकी स्थिति सबसे खराब है और वो है- पंजाब। यहां पर बीजेपी का नंबर शिरोमणि अकाली, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बाद आता है। सवाल यह है कि क्‍या बीजेपी 2022 के इलेक्‍शन में पंजाब का किला भेदने में कामयाब रहेगी? इसी सिलसिले में सोमवार को पंजाब के पूर्व सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने अमित शाह के साथ मुलाकात की।

पंजाब में 70 से 80 सीटों पर लड़ सकती है बीजेपी

माना जा रहा है कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और अमित शाह के बीच सीट शेयरिंग को लेकर लंबी बातचीत हुई है। एएनआई ने बीजेपी सूत्रों के हवाले से जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक, 2022 के चुनाव में बीजेपी पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 70-80 पर चुनाव लड़ सकती है। अगर बीजेपी को कैप्‍टन अमरिंदर की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन में इतनी सीटें मिलती हैं तो यह पार्टी के गेम चेंजर साबित हो सकता है। 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिरोमणि अकाली दल के साथ चुनाव लड़ा था, जिसमें गठबंधन को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। पंजाब में बीजेपी-अकाली दल का गठबंधन दशकों पुराना था, लेकिन किसान आंदोलन के वक्‍त दोनों दल आमने-सामने आ गए और गठबंधन टूट गया।

पहली बार फ्रंट रनर के तौर पर लड़ेगी बीजेपी

2022 का चुनाव बीजेपी के लिए बेहद खास होगा, क्‍योंकि वह पंजाब में पहली बार फ्रंट रनर के तौर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। अभी तक वह पंजाब में अकाली दल के साथ छोटे भाई भूमिका में ही थी। एएनआई के साथ बातचीत में बीजेपी सूत्र ने कहा, ”हम आपसी सहमति के साथ सीट शेयरिंग कर रहे हैं। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि गठबंधन का चेहरा कौन होगा? पंजाब के लोग बदलाव चाहते हैं और बीजेपी एक बड़े विकल्‍प के तौर पर उभरकर सामने आई है। पंजाब के लोग कैप्‍टन साहब की बहुत इज्‍जत करते हैं, क्‍योंकि वह एक सच्‍चे देशभक्‍त हैं।”

कैप्‍टन का कांग्रेस से बदला पंजाब में लगाएगा बीजेपी की नैया पार?

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह दो बार पंजाब के सीएम रह चुके हैं। मालवा, माझा और दोआबा, पंजाब की इन तीनों रीजन पर कैप्‍टन की अच्‍छी पकड़ है। वह जानते हैं कि कहां पर कांग्रेस मजबूत है और कहां पर कमजोर। अब यहां बीजेपी के लिए फायदा क्‍या है? यह बात सही है कि नवजोत सिंह सिद्धू के साथ टकराव के बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी बनाई है, लेकिन कैप्‍टन की उम्र अब करीब 80 वर्ष हो चुकी है। सक्रिय राजनीति में वह कितने दिन रहना चाहेंगे। यही बीजेपी के लिए गोल्‍डन चांस है। बीजेपी कैप्‍टन के सहारे पंजाब में कमल खिला सकती है, क्‍योंकि कैप्‍टन का पार्टी बनाना खुद के लिए कुछ साबित करने से ज्‍यादा कांग्रेस से बदला लेना है। ये तो आप जानते हैं कि जब बदले की बात आती है तो इंसान अपने फायदे से ज्‍यादा दूसरे का नुकसान सोचता है। यही बात कैप्‍टन पर भी लागू होती है, वह बीजेपी के साथ गठबंधन में खुद के लिए कुछ पाने से ज्‍यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।

बीजेपी-पंजाब लोक कांग्रेस के बीच करीब 8 दौर की हो चुकी बातचीत

अमित शाह से पहले अमरिंदर सिंह की मुलाकात पंजाब बीजेपी प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत से भी हो चुकी है। इस मीटिंग के बाद शेखावत ने कहा, ‘7 दौर की बातचीत के बाद मैं यह कह सकता हूं कि बीजेपी और पंजाब लोक कांग्रेस आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे।” इसी मीटिंग के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘मैं तैयार हैं और हम 101 प्रतिशत ये इलेक्‍शन जीतने जा रहे हैं।’

क्‍या है अमरिंदर सिंह की ताकत

2017 विधानसभा चुनाव में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से पटियाला सीट पर 52000 वोटों से जीते थे। पूरे राज्‍य में मार्जिन के हिसाब से ये सबसे बड़ी जीत थी। इतना ही नहीं, पटियाला रीजन में पड़ने वाली 8 विधानसभा सीटों में 7 पर कांग्रेस को जीत मिली थी। पंजाब की राजनीति में मालवा रीजन को सबसे अहम माना जाता है। पंजाब की कुल 117 विधानसभा सीटों में से 69 इसी इलाके में हैं। मालवा रीजन को कैप्‍टन का गढ़ माना जाता है। 2017 विधानसभा चुनाव में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की लीडरशिप में कांग्रेस ने मालवा की 69 में से 40 विधानसभा सीटों पर कब्‍जा किया था। हालांकि, 2017 में आम आदमी पार्टी ने भी मालवा रीजन में अच्‍छा प्रदर्शन किया था।

माझा में होगी सिद्धू और अमरिंदर के बीच सीधी जंग

अमृतसर और उसके आसपास के इलाके की 25 सीटों में 22 पर 2017 में कांग्रेस को जीत मिली थी। नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे, जिसे 2014 में अरुण जेटली को दे दिया गया था। इसी के बाद से उन्‍होंने बगावत शुरू की और वह कांग्रेस में चले गए। 2014 लोकसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह ने अमृतसर सीट पर जेटली को हराया था। 2022 चुनाव में माझा रीजन म कैप्‍टन बनाम सिद्धू की जंग बड़ी ही रोचक होगी।

दोआबा रीजन में बीजेपी का प्रदर्शन करेगा उसकी किस्‍मत का फैसला

2017 चुनाव में बीजेपी ने दोआबा रीजन की 23 सीटों में से 6 पर जीत दर्ज की थी। अकाली दल ने बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद बीएसपी के साथ गठबंधन किया है, क्‍योंकि दोआबा रीजन में दलित भी बड़ी संख्‍या में रहते हैं। चरणजीत सिंह चन्‍नी के रूप में कांग्रेस ने पंजाब को पहला दलित सीएम दिया है। ऐसे में दोआबा रीजन में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है, यह देखना रोचक होगा।

बिगड़ सकता है केजरीवाल का खेल

आम आदमी पार्टी को 2022 पंजाब इलेक्‍शन में बड़ा दावेदार माना जा रहा है, लेकिन अमरिंदर सिंह का कांग्रेस से अलग होना केजरीवाल के लिए झटका साबित हो सकता है। अगर कैप्‍टन सीएम की कुर्सी पर होते तो केजरीवाल को सीधे उन्‍हें चैलेंज करना होता, लेकिन अब तो कैप्‍टन खुद भी कांग्रेस को चैलेंज करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में अमरिंदर न केवल कांग्रेस विरोधी वोट काटकर केजरीवाल को झटका दे सकते हैं बल्कि कांग्रेस को सपोर्ट करने वाला वोट भी कांग्रेस और अमरिंदर के साथ बंट जाएगा।