Air Pollution Delhi: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में और इसके आसपास गंभीर वायु प्रदूषण के आरोपों को सत्यापित करने के लिए एक समिति का गठन किया है। एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण ‘इनडोर’ के साथ-साथ बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) के मरीजों, चिकित्सकों और एम्स-दिल्ली के अन्य कर्मचारियों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है। याचिका में दावा किया गया है कि वैधानिक और प्रशासनिक अधिकारी एम्स के आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की पीठ ने कहा, ‘हम संतुष्ट हैं कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है और तथ्यों को एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा सत्यापित किए जाने की आवश्यकता है। तदनुसार, हम सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पुलिस उपायुक्त (यातायात), क्षेत्र मंडल या जिला वन अधिकारी (डीएफओ) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन करते हैं।’

28 अप्रैल को होगी मामले की अगली सुनवाई

पीठ ने कहा कि समिति के अन्य सदस्य दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), एम्स निदेशक या उनके नामित और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के नामित एक व्यक्ति होंगे। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल हैं। एनजीटी ने कहा, ‘समिति स्थिति को सुधारने के लिए अपनी सिफारिशें दे सकती है। वह एक महीने के भीतर इस न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है।’ 28 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई होगी।

NFT ने कोच्चि नगर निगम पर लगाया था 100 करोड़ का जुर्माना

एनजीटी ने हाल ही में कोच्चि नगर निगम को अपने कर्तव्यों में कथित लापरवाही बरतने के लिए 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोच्चि शहर 2 मार्च, 2023 को एक कचरे की ढेर में आग लगने के कारण जाम हो गया था। जिससे संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। निवासियों को घर के अंदर रहने के लिए चेतावनी जारी की गई थी और अस्पतालों को गंभीर वायु प्रदूषण और इसके चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों से निपटने के लिए श्वसन संकट वाले रोगियों की आपातकालीन भर्ती तैयार करने के लिए कहा गया था।