-बेदिल
अलका और ‘आप’
तो… पार्टी छोड़ेंगी, इलाका नहीं। चांदनी चौक की विधायक की फोटो के साथ वहां लगे ‘ईद मुबारक’ वाले पोस्टर पर जिसकी भी नजर पड़ती अमूमन यही जवाब सुनाई देता। दरअसल चांदनी चौक की आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक अलका लांबा की फोटो लगे मुबारकबाद वाले पोस्टर चारों ओर चिपकाए गए हैं। खास बात है कि इन बधाई वाले पोस्टरों में उनकी पार्टी का नाम तक नहीं था। इसे इस बार ‘आप’ की ओर से जारी की जगह चांदनी चौक विधानसभा के लोगों की ओर से जारी दर्शाया गया था। कहना न होगा कि अल्का का उनकी पार्टी से 36 का आंकड़ा बना हुआ है। नेता आपस में ट्विटर पर भिड़ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद पार्टी उन्हें ‘टाटा’ कर दे। शायद इसकी भनक विधायक महोदया को भी है। तभी तो आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पड़ने वाले इस आखिरी ईद को पार्टी से इतर मनाया गया। किसी ने ठीक ही कहा कि लगता है पार्टी छोड़ेंगी, लेकिन इलाका नहीं।
बदलावों में नाकामी
लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर नित नए प्रयोग करने में आगे रहने वाला औद्योगिक महानगर नोएडा आर्थिक मंदी के वर्तमान दौर में भी बदलाव लाने को तैयार नहीं है। भले ही पूर्व में ऐसे कई प्रयोगों के नाकाम रहने पर प्राधिकरण को बेवजह काफी खर्च झेलना पड़ा हो। प्रयोग की इसी कड़ी में पिछले दिनों उल्टी दिशा में चलने वाले वाहनों को रोक लगाने के लिए टायर किलर तकनीक सफल नहीं रही। हालांकि, आधिकारिक रूप से इसका काफी जोरशोर से प्रयास किया गया था। हाल ही में शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए शुरू किया गया ऑटोमैटिक ट्रैफिक सिग्नल प्रयोग भी वाहन चालकों को राहत देने के बजाए परेशानी बढ़ा रहा है। दो दिन पहले जिन छह चौराहों पर इन्हें लगाया गया है, वहां पर लगातार जाम लग रहा है और लोग परेशान हो रहे हैं।
छुट्टी पर हैं…
गरमी अधिक होने की वजह से दिल्लीवासियों का जीना मुहाल हो गया है। आम लोग जैसे-तैसे कर जीवनयापन कर रहे हैं। पर दिल्ली के कई पुलिस अधिकारियों ने गर्मी से बचने का रास्ता खोज निकाला है। गर्मी में उन्हें दिक्कतों का सामना करना न पड़े, इसके लिए वह दिल्ली छोड़ चुके हैं, अपने परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टी बिताने के लिए ठंडे शहरों की ओर रुख कर लिया है। यही कारण है कि उनके इलाके में जब कोई घटना घटती है तो वह एक रटा-रटाया जवाब देते हैं कि छुट्टी पर हैं। उनसे कनिष्ठ अधिकारी आजकल कार्यभार संभाल रहे हैं। यह केवल दिल्ली पुलिस के एक दो-जिले के अधिकारियों का हाल नहीं है। अधिकतर अधिकारी आजकल यही जवाब दे रहें हैं।