तेलंगाना सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मंगलवार को राज्य में 12 मई से लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल ने 12 मई (बुधवार) सुबह 10 बजे से अगले 10 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है। विज्ञप्ति के अनुसार, “हालांकि सुबह छह बजे से सुबह 10 बजे तक सभी दैनिक गतिविधियों में छूट रहेगी।” सोमवार को तेलंगाना में कोविड-19 से संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर करीब 50 हजार हो गया और 4,826 नए मामले आए, जबकि संक्रमण से 35 और लोगों की मौत होने से मृतक संख्या बढ़कर 2,771 हो गई।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने कोविड-19 रोधी टीका खरीदने के लिए वैश्विक कंपनियों को भी आमंत्रित करने का फैसला किया है। इधर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से 108 और लोगों की जान चली गई। मंगलवार की सुबह नौ बजे समाप्त हुए 24 घंटे में मृतकों की संख्या सामने आने के बाद इस महामारी से राज्य में जान गंवाने वालों की कुल संख्या बढ़ कर 8,899 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अद्यतन बुलेटिन में बताया गया है कि बीते 24 घंटे के दौरान 86,878 नमूनों की जांच की गई। इनमें से 20,345 को कोरोना वायरस का संक्रमण होने की पुष्टि हुई है। इसी 24 घंटे की अवधि में 14502 लोगों को संक्रमण मुक्त होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। राज्य में फिलहाल संक्रमित मरीजों की संख्या 13,22,934 है, वहीं स्वस्थ हो चुके लोगों की संख्या 11,18,933 है।

उधर, नगालैंड सरकार ने भी कोविड-19 मामलों में तेज वृद्धि के मद्देनजर राज्य में 14 मई से सात दिन के लिये पूर्ण लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया। कोविड-19 को लेकर राज्य सरकार के प्रवक्ता तथा मंत्री नीबा क्रोनू ने कहा कि मंगलवार को कोविड-19 से संबंधित उच्चस्तरीय समिति ने 14 मई शाम छह बजे से 21 मई तक के लिये एक सप्ताह का राज्यव्यापी पूर्ण लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को उस जनहित याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में लेने का निर्देश दिया, जिसमें स्टेडियम सहित खुले इलाकों में ‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों को स्थापित करने की मांग की गई है। ‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों से तात्पर्य उन केन्द्रों से है जहां आप अपने वाहन से उतरे बिना टीका लगवा सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को कहा कि मामले के तथ्यों के लिए लागू कानून, नियमों, विनियमों और नीति के तहत प्रतिवेदन पर फैसला लें। अदालत ने कहा कि फैसला जल्द से जल्द और व्यवहारिक रूप से लिया जाए।

दिल्ली के एक व्यापारी अमनदीप अग्रवाल की ओर से दायर उक्त याचिका में मुंबई की तरह ‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों को स्थापित किए जाने की मांग की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वरिष्ठ नागरिक किसी के सम्पर्क में ना आएं और टीकाकरण के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का भी पालन हो।

याचिकाकर्ता के वकील एसएस चांडियोक और रुषब अग्रवाल ने कहा कि अगर लोग टीकाकरण केन्द्रों या अस्पतालों में टीका लगवाने के लिए कतारों में खड़े हो रहे हैं या भीड़ लगा रहे हैं तो इससे कर्फ्यू या लॉकडाउन लगाने का उद्देश्य पूरा नहीं होता। याचिका में कहा गया कि खुले स्थानों पर टीकाकरण केन्द्र बनाने से राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों में पहले से परेशानियों का सामना कर रहे चिकित्सा र्किमयों पर दबाव कम होगा। याचिका में कहा गया, “ड्राइव-इन टीकाकरण केन्द्रों से लोग अन्य लोगों के सम्पर्क में आए बिना टीका लगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।”