”वो आक्रांता थे, उनको इस इेश की मिट्टी से, संस्कृति से और लोगों से कोई प्यार नहीं था। हैदराबाद को लोग वर्षों से लोग भाग्यनगर कहते आ रहे हैं। तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता है?” यह कहना है आरएसएस के सीनियर लीडर इंद्रेश कुमार का। इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी अपनी एक सभा में हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की बात कर चुके हैं। बीजेपी तेलंगाना में 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है और इस मुद्दे को हवा दे रही है, जबकि राज्य की सत्ता पर काबिज तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) का कहना है कि बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वह हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने जैसे मुद्दों को हवा दे रही है।
सबसे पहले टीआरएस की बात करते हैं। पार्टी के प्रवक्ता कृषांक मान्ने ने कहा, ‘उनके पास कोई एजेंडा नहीं है। अगर उनके पास तेलंगाना या हैदराबाद के लिए कोई एजेंडा होता तो वे विकास की बात करते। उन्होंने कई जगहों पर ऐसा किया है।” वहीं, इसके जवाब में तेलंगाना बीजेपी के नेता राकेश रेड्डी से जब एंकर ने पूछा, ”भाग्यनगर ही क्यों? तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, हम इतिहास में की गई गलतियों को सुधारना चाहते हैं। प्राचीन नाम भाग्यनगर है, हैदराबाद नहीं। यह पहचान और सेल्फ रेस्पेक्ट का मामला है। भारत ने कभी दूसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया, लेकिन भारत पर आक्रमण हुए हैं और कई आक्रमणकारियों ने हमारे यहां जगहों के नाम बदले। कांग्रेसियों ने गांधी परिवार के नाम कई काम किए, लेकिन अपनी संस्कृति से जुड़े नामों को वह भूल गए। जैसे बॉम्बे का नाम मुंबई किया गया, कलकत्ता का नाम कोलकाता किया गया, वैसे ही हैदराबाद का नाम भी भाग्यनगर होना चाहिए।”
डिबेट के दौरान रेखा राव ने कहा कि यहां सांस्कृतिक, भाषाई, भावनात्मक और पहचान अहम है। हैदराबाद में चार मीनार के पास बेहद प्राचीन भाग्यलक्ष्मी मंदिर है। इसी के नाम से हैदराबाद का नाम भाग्यनगर पड़ा था। यह रीजनल आईडेंटिटी का भी मुद्दा है। साथ इतिहास का भी इसमें अहम रोल है। डिबेट में एक बड़ा ही अहम सवाल भी आया कि हैदराबाद नाम से पहले क्या उस जगह का कोई नाम था? रतन शारदा ने सवाल पूछा कि कौन सा ऐसा देश है जो आक्रमणकारियों को पूजता और उनका सम्मान करता है? कहीं भी नहीं। क्यों कोई सत्ता में आने के बाद चर्च को मस्जिद बना देता है? बख्तियार खिलजी ने नालंदा पर हमला कर उसे तबाह कर दिया और हम गर्व आज बख्तियारपुर नाम लेते हैं। क्या यह शर्म की बात नहीं है कि हम आक्रमणकारियों को पूजते हैं?
तेलंगाना बीजेपी के नेता राकेश रेड्डी ने तर्क दिया कि हैदराबाद की स्थापना मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नहीं बल्कि हैदराबाद पहले से मौजूद था, जिसका नाम भाग्यनगर से बदलकर हैदराबाद किया गया। ऐसे में हैदराबाद का नाम भाग्यनगर होना ही चाहिए। नाम बदलने के इस मुद्दे पर एक और रोचक बात इस डिबेट में सामने आई। एंकर ने डिबेट में शामिल दो मुस्लिम पैनलिस्टों का जिक्र करते हुए कहा कि ये आक्रमणकारी तो नहीं हैं। इस पर रतन शारदा ने तर्क दिया कि ये सही है कि ये आक्रमणकारी नहीं हैं, लेकिन अगर आक्रमणकारियों के नाम से अगर किसी जगह का नाम बदला जाता है तो इसमें तकलीफ क्या है?