बीती रात पुलिस ने एक दवा बनाने वाली कंपनी के एक डायरेक्टर को पूछताछ के लिए विले पार्ले थाने बुला लिया। इस कंपनी ने रेमडेसिविर नामक दवा की काफी बड़ी मात्रा मुंबई में स्टोर कर रखी थी। रेमडेसिविर की इन दिनों भारी किल्लत है। यह दवा कोविड-19 के मरीजों तब दी जाती है जब उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है। पुलिस के मुताबिक दवा के स्टॉक को विदेश भेजने की तैयारी थी। उल्लेखनीय है कि इस दवा के निर्यात पर रोक लगी हुई है।

दवा कंपनी का नाम ब्रुक फार्मा है। यह फर्म दमन में स्थित है। पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाए गए व्यक्ति की पहचान नहीं खोली है। उससे 45 मिनट तक पूछताछ की गई। और फिर जाने दिया गया।हालांकि पुलिस का कहना है कि दवा विदेश भेजी जाने वाली थी लेकिन प्रतीत यह होता है कि दवा के इस भंडार की व्यवस्था भारतीय जनता पार्टी ने की थी। मकसद यही कि इसका वितरण महाराष्ट्र में किया जाए। बात जो भी हो बहरहाल, कंपनी के निदेशक से पुलिसिया पूछताछ की सूचना मिली तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और वरिष्ठ भाजपा नेता प्रवीण दारेकर भागकर थाने जा पहुंचे।

इन दो भाजपा नेताओं ने वहीं थाने में एकत्रित मीडिया को बताया कि दवा पार्टी की महाराष्ट्र इकाई ने मंगाई है। उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए पार्टी ने कई फार्मा कंपनियों से संपर्क किया था। हम महाराष्ट्र के लिए दवा उपलब्ध कराने का ईमानदार प्रयास कर रहे थे कि पता चला कि पुलिस ने ब्रुक फार्मा के अधिकारी को हिरासत में ले लिया है। फड़नवीस ने आरोप लगाया कि राज्य के एक मंत्री के ओएसडी ने तो कंपनी के अधिकारियों को यह कह कर हड़काया है कि वे विपक्षी दल के कहने पर किस तरह रेमडेसिविर दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रुक फार्मा के अधिकारी को शाम के वक्त दस पुलिसकमियों ने हिरासत में लिया। दूसरे भाजपा नेता दारेकर ने कहा कि वे पिछले सोमवार को दवा सप्लाई पर बात करने ब्रुक फार्मा के अधिकारियों के पास दमन गए भी थे।

फड़नवीस और दारेकर ने एक बयान में कहा है कि रेमडेसिवर दवा का स्टॉक का वितरण हम राज्य सरकार के जरिए ही कराना चाहते थे। हमने तय किया था कि दवा की पूरी कीमत, यानी पौने पांच करोड़ रुपए हम ही चुकाएंगे। खरीदने के बाद हम दवा का भंडार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दे देते। दारेकर ने कहा कि हमारी मंशा की जानकारी खाद्य एवं दवा मंत्री राजेंद्र शिंगने के पास थी क्योंकि हम जो करने जा रहे थे, उसके लिए राज्य सरकार की परमिशन चाहिए थी।

दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि उसे दमन में बनी दवा के मुंबई में मौजूद भंडार की जानकारी मिली थी। सूत्रों ने पुलिस को बताया था कि .यह जखीरा विदेश भेजा जाने वाला है। सो, जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कार्रवाई की गई।

थाने में मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे तो बस इतना जानना चाहते थे कि इतनी किल्लत के बाद दवा के इतने बड़े स्टॉक का वितरण क्यों नहीं किया जा रहा। मुंबई पुलिस ने आश्चर्य जताया कि उसके इन्वेस्टीगेशन के बीच फड़नवीस ने क्यों दखल दी।

ब्रुक फार्मा देश की उन 16 कंपनियों में एक है जो रेमडेसिविर बनाती हैं। ब्रुक को एक्सपोर्ट की अनुमति भी प्राप्त है। लेकिन कंपनी के पास मार्केटिंग का लाइसेंस नहीं है। सो, बिक्री करने के लिए उन फार्मा कंपनियों की मदद लेनी होती है, जिन्हें लाइसेंस प्राप्त है। ऐसी कंपनियों की संख्या सात है।

फड़नवीस ने बताया कि कुछ दिन पहले पार्टी नेता प्रवीण दारेकर और प्रसाद ला ब्रुक फार्मा के पास दमन गए थे। हमने उनसे महाराष्ट्र के लिए रेमडेसिविर देने की गुजारिश की थी। वे राजी थे लेकिन दिक्कत यही थी कि उनके पास लाइसेंस नहीं था। इसके बाद केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया से कहकर हमने लाइसेंस दिला दिया।

महाराष्ट्र के फूड एण्ड ड्रग प्राधिकार के अफसरों का कहना है कि संस्थान रेमडेसिविर के कुछ उत्पादकों को सीधी बिक्री का लाइसेंस देने की योजना बना रही है। लेकिन यह सब अभी बातचीत के चरण में ही है। उन्होंने कहा कि ब्रुक को भी अभी मार्केटिंग करने की अनुमति नहीं मिली है। ब्रुक के निदेशकों के नाम हैं शिरीष केजरीवाल, राजेश दोकनिया, अंशू केजरीवाल और देवेन्द्र केजरीवाल (चेयरमैन)।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों से रेमडेसिवर बड़ी चर्चा में है। अभी कुछ दिन पहले तब हल्ला मचा था जब गुजरात में भाजपा के सूरत और नवसारी कार्यालयों में यह बांटी गई थी। गुजरात से इस दवा को यूपी सप्लाइ करने के लिए भी वहां की रूपानी सरकार को पक्षपात का लांछन झेलना पड़ा था। दवा की अस्पताल से चोरी की घटनाएं भी खूब हो रही हैं आजकल।