पंजाब में नशा मुक्ति केंद्रों पर नशा पीड़ितों संग बर्बरता के मामले सामने आए हैं। इन केंद्रों पर इलाज के नाम पर पीड़ितों संग वहशियाना व्यवहार किया जा रहा है। दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक इलाज के नाम पर मरीजों को बेल्ट, डंडों से बुरी तरह पीटा जाता है। उन्हें पूरा दिन घुटनों के बल फर्श पर चलाया जाता है। गलती होने पर मुंह पर थूक दिया जाता है। कई मरीजों को भूखा रखने के मामले भी सामने आए हैं। मरीजों संग बर्बरता का कारण पूछने पर तर्क जाता है कि ऐसा करने से उनका ध्यान नशे की तरफ नहीं जाएगा।

खबर के मुताबिक बहुत से नशा मुक्ति केंद्र गैर कानूनी रूप से भी चलाए जा रहे हैं। फिजियोथेरेपी, नेचुरोपैथी, एक्यूप्रेशर सेंटर, रिहेबलिटेशन सेंटर के नाम पर लाइसेंस लेकर इनके मालिक अवैध ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर चला रहे हैं। इन सेंटरों का दावा है कि छह महीनों के भीतर मरीज को नशे की लत से पूरी तरह मुक्त करा देंगे, मगर ऐसा नहीं है।

समाचार पत्र ने प्रदेश के 21 जिलों में नशा मुक्ति केंद्रों की पड़ताल की तो कई फर्जी नशा केंद्र भी सामने आए, जहां मरीजों संग बुरी तरह दुर्व्यवहार किया जा रहा है। समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में नशा मुक्ति केंद्रों में ज्यादा गड़बड़ियां पाई गईं। यहां नशा छुड़ाने के बदले में मरीजों के परिवार से एक लाख रुपए तक की फीस ली जा रही है। इसके अलावा मरीजों को परिजनों को मिलने भी नहीं दिया जाता। एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में यह अवैध कारोबार 175 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

बता दें कि स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के नियमों के मुताबिक डी एडिक्शन सेंटर में नशा मुक्ति केंद्रों पर एमओ डॉक्टर, प्रोजेक्ट मैनेजर, नर्स, वार्ड ब्वॉय, चौकीदार, साइक्रेटिस्ट काउंसलर, डाइट प्लानर और फिजियोथैरेपी टीचर का होना जरुरी है। मगर पड़ताल के दौरान 200 के करीब ऐसे सेंटर पाए गए जहांकाउंसलर ही डॉक्टर और अकाउंटेंट की भूमिका में हैं। नर्स और वॉर्ड ब्वॉय ना बराबर देखने को मिले। योगा टीचर व फिजियोथैरेपिस्ट सिर्फ कागजों में थे।