भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को पूछा कि क्या केंद्र सरकार को कोविड टीकाकरण के मोर्चे पर शुरू में कथित खराब प्रदर्शन के लिए देशद्रोही करार दिया जाएगा? टैक्स फाइलिंग वेबसाइट में आ रही गड़बड़ियों के चलते सरकार और निजी फर्मों की नाराजगी का सामना कर रही इंफोसिस समेत आईटी कंपनियों के बचाव में राजन ने ऐसा कहा है।

आईटी फर्म द्वारा टैक्स-फाइलिंग वेबसाइट पर कुछ गड़बड़ियों को ठीक करने में असमर्थता के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी एक पत्रिका ने इंफोसिस पर हमला बोला था। हालांकि आरएसएस ने लेख से किनारा करते हुए कहा था कि यह पत्रिका संघ की मुखपत्र नहीं है और इसमें छपे आर्टिकल में लेखक ने निजी विचार रखे हैं।

एनडीटीवी से बात करते हुए राजन ने उदाहरण के तौर पर जीएसटी को लागू किए जाने का हवाला देते हुए कहा, “यह मुझे पूरी तरह से निरर्थक लगा। क्या आप सरकार पर शुरू में टीकों पर अच्छा काम नहीं करने के लिए राष्ट्र-विरोधी होने का आरोप लगाएंगे? आप कहते हैं कि यह एक गलती है और लोग गलतियां करते हैं।”

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि जीएसटी रोलआउट शानदार रहा है। इसे बेहतर किया जा सकता था। लेकिन उन गलतियों से सीखें और इसे अपने पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए एक क्लब के रूप में इस्तेमाल न करें।”

इंटरव्यू के दौरान डॉक्टर राजन ने अर्थव्यवस्था की स्थिति, सुधार, उद्योगों समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों की ओर इशारा किया कि छोटी कंपनियों और लिस्टेड कंपनियों की तुलना में औपचारिक फर्म विशेष रूप से ज्यादा मुनाफा हासिल कर रही हैं।

डॉ राजन ने कहा कि “हम अर्थव्यवस्था को जबरन औपचारिक रूप देते हुए देख रहे हैं। हमने अपने छोटे और मध्यम व्यवसायों को उस हद तक समर्थन नहीं दिया है, जैसा अन्य देशों में दिया जाता है।” उन्होंने कहा कि बढ़ते राजस्व को राज्य सरकारों के साथ साझा नहीं किया जा रहा है।

डॉक्टर राजन ने कहा, ‘राज्य सरकारों की वित्त व्यवस्था बुरे हाल में है। केंद्र ने सेंट्रल सेस के जरिए राजस्व का बड़ा हिस्सा निगल लिया है।’ इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘भारत विशेष रूप से केवल केंद्र से चलाए जाने के लिए काफी बड़ा हो रहा है।” राजन ने कहा, “देश न केवल केंद्र से बल्कि ‘केंद्र के भीतर केंद्र’ से चलाया जा रहा है। इस तरह का अति-केंद्रीकरण हमें पीछे धकेल देता है।”