चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, अब पार्टी की निगाहें उत्तर प्रदेश पर हैं जहां साल भर के भीतर ही विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पेंच कसने शुरू कर दिए हैं। लेकिन किशोर के काम करने के अंदाज और कांग्रेस नेताअों में उन्हें लेकर बढ़ती बेचैनी बहुत कुछ कह रही है।
किशोर और उनकी 100 सदस्यीय टीम ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विभिन्न इकाइयों को हरकत में ला दिया है क्योंकि उन्हें करीब डेढ़ लाख समर्पित वोटर चाहिए। पंजाब में प्रशांत किशोर के राज्य कांग्रेस नेताओं से कई मुद्दों पर मतभेद सामने आए थे। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेता प्रशांत की मौजूदगी को लेकर इसलिए मुखर नहीं हैं क्योंकि उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नियुक्त किया है। लेकिन प्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत के इर्द-गिर्द उस वक्त असहज महसूस कर रहे थे, जब उन्होंने राहुल गांधी से सीधी मुलाकात कराने का वादा और टिकट वितरण में महत्वपूर्ण निभाने का दावा किया। मजबूर होकर वरिष्ठ नेताओं को किशोर की वास्तविक भूमिका साफ करनी पड़ी और यह भी बताना पड़ा कि टिकट वितरण पहले की तरह होगा। किशोर की भूमिका प्रचार में मदद करने और घोषणा पत्र बनाने तक सीमित रहेगी।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के मुताबिक, “शायद उनकी ये कार्यशैली कार्यकताओं में जोश जगाने के लिए है। हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है इसलिए हम चुप हैं। उनकी कार्यशली काम आती है या नहीं, ये तो समय बता देगा लेकिन फिलहाल पह पार्टी के संसांधनों और कार्यप्रणाली के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं।”
हालांकि कई मौकों पर पार्टी के कुछ नेता खुद पर काबू नहीं रख सके। लखनऊ में ब्लॉक स्तरीय नेताओं की बैठक में, आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव प्रकाश जोशी ने एक कार्यकर्ता से बातचीत में प्रशांत की तुलना संजीवनी बूटी के साथ हनुमान से की। जोशी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के लिए बेइज्जती की बात है, लेकिन जल्द ही यूपी कांग्रेस ने साफ कर दिया कि उन्हें प्रशांत किशोर की कार्यशैली से कोई दिक्कत नहीं है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी किशोर के आदेशानुसार काम कर रही है। लेकिन मधुसूदन मिस्त्री और निर्मल खत्री जैसे वरिष्ठ नेता किशोर के सम्बोधन के दौरान मौजूदगी से किनारा करते हैं। किशोर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से अकेले में बात करते हैं। वह लखनऊ में कई ब्राह्मण नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। हालांकि कानपुर में 12 मई की रात को कुछ गिने-चुने नेताओं के साथ प्रशांत की गुप्त मुलाकात ने जिला इकाई में असहज स्थिति पैदा कर दी थी, जिसे बाद में सुलझा लिया गया।
अभी तक किशोर की टीम और कांग्रेस का सारा ध्यान दलितों और मुसलमानों को साथ जोड़ने पर है। इस रणनीति को बिलारी उपचुनाव में मुंह की खानी पड़ी थी जब पार्टी ने बसपा उम्मीदवार की गैर-मौजूदगी में दलित और मुस्लिम वोट खींचने के लिए एक जाटव को उम्मीदवार बनाया। लेकिन नतीजा ये हुआ कि वोट सपा और भाजपा के बीच बंट गए जबकि कांग्रेस 3000 से कुछ ज्यादा वोट ही बटोर पाई। अब पार्टी अन्य उपजातियों पर भी ध्यान दे रही है खासतौर पर पासी जिन्होंने 2012 में बड़ी संख्या में सपा के लिए वोट किया।
Read more: प्रशांत किशोर ने कहा- यूपी जीतना है तो ब्राह्मणों में बनाओ पैठ, कांग्रेस नेताओं में मतभेद
सूत्रों के मुताबिक, प्रचार शुरू करने से पहले किशोर और कांग्रेस का लक्ष्य है डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को खोजना। इसके लिए किशोर ने हर जिला इकाई से एक-एक विधानसभा सीट से 20 कार्यकर्ताअों के नाम मंगाए हैं। कांग्रेस की प्रमुख इकाइयों जैसे महिला कांग्रेस, सेवा दल, यूथ कांग्रेस इत्यादि से हर विधानसभा सीट के लिए दो-दो कार्यकर्ताओं के नाम मांगे गए हैं। साथ ही हर सीट से 250 संभावित उम्मीदवारों की सूची भी मांगी गई है जो चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके अलावा किशोर हर ग्राम पंचायत में एक घर ऐसा ढूंढना चाहते हैं जिसे कांग्रेस की विचारधारा पर पूरा भरोसा हो।
सारे आंकड़े जुटाने के बाद इन कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोंस से लैस किया जाएगा। जिसमें विशेष एप्लिकेशंस के जरिए क्षेत्र विशेष में प्रचार के लिए संचार का सीधा माध्यम बनाने की सुविधा होगी। प्रियंका को राजनीति में सक्रिय करने की प्रशांत की सलाह से इतर, खबर है कि अन्य राज्यों के नतीजे देखने के बाद किशोर और उनकी टीम इस पक्ष में है कि पार्टी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे ताकि उनकी रणनीति को एक चेहरा मिल सके।
वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक पार्टी सभी विधानसभा क्षेत्रों में तैयारी कर रही है। साथ ही साथ 100 ऐसी सीटें तलाशी जा रही हैं जिन्हें खाली छोड़ा जा सके, ताकि राष्ट्रीय लोक दल से गठबंधन की संभावना बनने पर चुनाव मिलकर लड़ा जा सके।