लोकसभा चुनाव के ठीक बाद उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। समाजवादी पार्टी से ज़्यादा यह चुनाव बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। वजह लोकसभा चुनाव में पार्टी का खराब प्रदर्शन है। बीजेपी ने पूरे संगठन को इस चुनाव के लिए मैदान में उतार दिया है। पार्टी के कई मंत्री और केंद्रीय लेवल के नेता भी मजबूत चुनाव लड़ने के लिए मैदान में दिखाई देने लगे हैं। हालांकि अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है।

बीजेपी ने अपने 30 मंत्रियों और 15 वरिष्ठ नेताओं को पार्टी कार्यकर्ताओं की शिकायतों का समाधान करने के की ज़िम्मेदारी सौंपी है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बीजेपी इस चुनाव में किसी तरह का मौका नहीं गंवाना चाहती है।

CM योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बीच की तल्खी के बीच चुनाव

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर हो रहा है यह उप-चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव-2019 में बीजेपी को 62 सीटें मिली थीं, लेकिन 2024 में संख्या 33 पर आ गई। ऐसे में पार्टी के भीतर हलचल होना स्वाभाविक था। सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच बाहरी तौर पर नहीं लेकिन भीतरखाने मनमुटाव की खबरें सामने आने लगीं। केशव प्रसाद मौर्य के बयानों के मायने निकाले गए। पार्टी की एक बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि ‘पार्टी से बड़ा कोई नहीं है’, कहा गया कि यह बयान सीएम योगी को लेकर दिया गया था।

लोकसभा चुनाव में कई सीटों के नुकसान का जिम्मेदार कौन था? इस सवाल पर भी यूपी बीजेपी में काफी घमासान रहा। ऐसे में यह उपचुनाव मजबूती से लड़ना बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। अगर पार्टी का नुकसान बरकरार रहता है तो भीतरखाने जारी विरोध बढ़ भी सकता है।

नौ विधानसभा सीटों में उपचुनाव विधायकों के सांसद बन जाने की वजह से हो रहे हैं, जबकि सीसामऊ में सपा विधायक इरफान को कोर्ट को दोषी ठहराए जाने के बाद सीट खाली हुई है। 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा ने इनमें से पांच सीटें जीतीं थीं। जबकि जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने एक सीट जीती। भाजपा ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों पर कब्जा किया और उसकी सहयोगी निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी।

मिल्कीपुर सीट के मुकाबले पर सभी की नजर

अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट भाजपा के लिए सबसे अहम है। यह फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से एक है। राम मंदिर के मुद्दे के बावजूद बीजेपी फैजाबाद सीट हार गई थी। अब पार्टी अपने खोए हुए वकार को हासिल करने के लिए मिल्कीपुर सीट पर पूरा ज़ोर लगा रही है।

मिल्कीपुर सीट पर जीत के महत्व पर जोर देते हुए भाजपा के एक नेता ने कहा, “हमने पहले ही डोर-टू-डोर अभियान शुरू कर दिया है, जहां हम मतदाताओं को बता रहे हैं कि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण और संविधान के मुद्दों पर उन्हें गुमराह किया है।”