Who Is Sanjay Prasad: उत्तर प्रदेश में गुरुवार देर रात बड़े पैमाने पर अधिकारियों के फेरबदल किए गए। इसमें एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। जिसका नाम है आईएएस अधिकारी संजय प्रसाद, जो 1995 बैच के ऑफिसर हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रधान सचिव संजय प्रसाद, जो सूचना और प्रोटोकॉल का प्रभार संभाल रहे हैं। उनको फेरबदल में गृह, सतर्कता, वीजा और पासपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण विभाग वापस मिल गए हैं। जिन्हें इस साल लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने उनसे छीन लिया था। प्रसाद विभिन्न राज्यों के छह गृह सचिवों में से एक थे, जिन्हें चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने बदल दिया था।

योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक माने जाने वाले और उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली अधिकारियों में से एक संजय प्रसाद प्रोटोकॉल के प्रभारी के रूप में राज्य के भीतर और बाहर मुख्यमंत्री के दौरों में उनके साथ रहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रसाद पहली बार 1999 में आदित्यनाथ के संपर्क में आए थे। जब एक युवा आईएएस अधिकारी के रूप में वे 1999 से 2001 तक गोरखपुर में मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात थे। आदित्यनाथ ने उस समय गोरखपुर से सांसद के रूप में राजनीति में नया प्रवेश किया था।

प्रसाद ने 2002-2003 तक गोरखपुर के पड़ोसी महराजगंज के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया और उसके बाद अयोध्या, बहराइच, फिरोजाबाद और आगरा जिलों के डीएम रहे। उन्होंने बसपा और समाजवादी पार्टी के शासन में भी वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। 2009 में जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब उन्हें गृह विभाग का विशेष सचिव नियुक्त किया गया और बाद में 2014 में लगभग छह महीने के लिए अखिलेश यादव के शासन में गृह विभाग के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया।

इस बीच, प्रसाद ने उद्योग, आईटी, जेल, चिकित्सा और स्वास्थ्य जैसे विभागों का प्रभार संभाला। 2015 में वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में संयुक्त सचिव और फिर रक्षा में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया, जिस पद पर वे 2019 तक रहे।

सीएम के तौर पर आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के दो साल बाद संजय प्रसाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आए और उन्हें कुछ समय के लिए बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास विभाग के सचिव का पदभार दिया गया। छह महीने बाद, सितंबर 2019 में उन्हें सीएम का सचिव बनाया गया और तब से वे आदित्यनाथ के करीबी तौर पर काम कर रहे हैं।

2022 में यूपी के सबसे शक्तिशाली नौकरशाह अवनीश कुमार अवस्थी की सेवानिवृत्ति और सूचना विभाग से अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत कुमार सहगल के स्थानांतरण ने आदित्यनाथ प्रशासन के भीतर प्रसाद के दबदबे को और बढ़ा दिया।

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1 सितंबर 2022 को प्रसाद को सूचना विभाग के साथ-साथ अवस्थी द्वारा संभाले जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण विभागों जैसे गृह, सतर्कता, वीजा, जेल, ऊर्जा का प्रभार मिला। सूत्रों ने कहा कि प्रसाद के मजबूत पारस्परिक कौशल का मतलब है कि उनके हर जगह दोस्त हैं।

आम चुनावों से पहले गृह और सतर्कता विभागों के प्रभारी के रूप में उन्हें हटाए जाने को आदित्यनाथ सरकार के लिए एक झटका माना गया था, खासकर इसलिए क्योंकि बाद में फैसले को पलटने की पूरी कोशिश की गई थी। चुनाव आयोग के नरम न पड़ने पर कई लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें हटाया जाना केंद्र और राज्य सरकार के बीच झगड़े का नतीजा था।

संजय प्रसाद को सभी विभागों का प्रभारी बनाए जाने से मुख्यमंत्री कार्यालय में उनकी स्थिति और मजबूत होने की उम्मीद है। सीएमओ में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रसाद की जिन खूबियों के कारण उन्हें आदित्यनाथ का विश्वास मिला है उनमें यह भी शामिल है कि “वे सतर्क रहते हैं और परिस्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, जो कि उनके पद के लिए आवश्यक है।

अधिकारी उदाहरण देते हैं कि कैसे वह 23 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन के अगले दिन सुबह-सुबह भारी भीड़ की आशंका के चलते अयोध्या में थे और शुरुआती असमंजस के बाद प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से कार्यों की देखरेख की थी।

(इंडियन एक्सप्रेस के लिए मौलश्री सेठ की रिपोर्ट)

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