Who is called a Declared Senior Advocate: किसी वकील को घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता (Declared Senior Advocate) बनाया जाना कानूनी जगत में एक प्रतिष्ठित उपलब्धि मानी जाती है। यह दर्जा उच्च न्यायालयों (High Courts) या सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) से उन वकीलों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में विशेष कानूनी विशेषज्ञता (Special Legal Expertise), गहरी समझ (Deep Understanding), प्रतिष्ठा (Reputation) और अनुभव (Experience) हासिल किया होता है। यह मान्यता (Recognition) न केवल उनकी योग्यता को दर्शाती है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करती है। वरिष्ठ अधिवक्ता बनना केवल एक सम्मानजनक उपाधि नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। इसके लिए केवल कानूनी ज्ञान और अनुभव ही नहीं, बल्कि एक स्वच्छ और निष्कलंक पेशेवर आचरण (Impeccable Professional Conduct) भी आवश्यक होता है। यह पद न्यायपालिका और कानूनी समुदाय में वकील की प्रतिष्ठा और योगदान का प्रतीक होता है।

इस पदनाम (Title) को प्राप्त करने वाले अधिवक्ता सामान्य वकीलों से अलग होते हैं और उन्हें कुछ विशेषाधिकार (Privileges) मिलते हैं, जैसे: अदालत में बहस (Arguments) करने की प्राथमिकता (Priority in Hearings), विशिष्ट पोशाक (Special Black Gown with White Collar) पहनना तथा जटिल और महत्वपूर्ण मामलों (Complex and High-Profile Cases) में विशेष भूमिका निभाने होते हैं। वे सीधे मुवक्किल (Client) से प्रत्यक्ष रूप से फीस नहीं ले सकते, बल्कि एक अन्य वकील के माध्यम से ही केस ले सकते हैं। यह उपाधि (Designation) अदालत द्वारा योग्य और अनुभवी अधिवक्ताओं को सम्मानजनक मान्यता के रूप में प्रदान की जाती है, जिससे उनकी कानूनी विशेषज्ञता (Legal Expertise) और पेशेवर आचरण (Professional Conduct) को मान्यता मिलती है।

इस विषय पर पूर्व मानद सचिव (Ex. Honorary Secretary) इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Allahabad High Court Bar Association) वरिष्ठ और अनुभवी अधिवक्ता ए.सी. तिवारी (A.C. Tiwari) और अधिवक्ता श्याम किशोर त्रिपाठी (Shyam Kishore Tripathi) तथा दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता विपिन कुमार सिंह (Vipin Kumar Singh) ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने इस पूरे विषय को आसान तरीके से सवाल और जवाब के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे अधिवक्ताओं और कानून के छात्रों को स्पष्ट समझ (Clear Understanding) मिल सके।

1. घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता (Declared Senior Advocate) का पदनाम (Title) पाने के लिए न्यूनतम योग्यता क्या हैं?

घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता (Declared Senior Advocate) बनने के लिए वकील को लॉ प्रैक्टिस (Law Practice) में पर्याप्त अनुभव (Sufficient Experience), उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठा (Reputation for Excellence) और जटिल कानूनी मामलों (Complex Legal Cases) को संभालने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए कम से कम 10 वर्षों की सफल वकालत (Successful Advocacy) और कानूनी समुदाय (Legal Community) में महत्वपूर्ण योगदान आवश्यक होता है। यहां गुणवत्ता को अधिक प्राथमिकता दी जाती है, न कि केवल मामलों की संख्या (Number of Cases) को।

2. घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता (Declared Senior Advocate) बनने के लिए कौन पात्र (Eligible) है?

-इस पद के लिए वे वकील पात्र (Eligible) होते हैं जिन्होंने अपने प्रैक्टिस के दौरान ठोस प्रतिष्ठा (Solid Reputation) बनाई हो, कानूनी तर्कों में उत्कृष्टता (Excellence in Legal Reasoning) दिखाई हो और विधि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। आमतौर पर यह पदनाम (Title) उन्हीं अधिवक्ताओं को दिया जाता है जो अपने न्यायिक कार्यों में विशेष योग्यता रखते हों और वह मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) या हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश (Sitting Judge) द्वारा अनुशंसित (Recommended) हों। साथ ही दो नामित वरिष्ठ अधिवक्ताओं (Designated Senior Advocates) द्वारा अनुशंसित (Recommended) हों।

3. घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता (Declared Senior Advocate) बनने के लिए कितने वर्षों का कानूनी अभ्यास आवश्यक होता है?

-इस पदनाम (Title) के लिए पात्र होने के लिए किसी व्यक्ति को लंबे समय (Long Period of Time) तक सक्रिय वकालत (Active Practice) में होना चाहिए। इसके साथ ही, उसे जटिल कानूनी मुद्दों (complex legal issues) को संभालने में विशेषज्ञता (expertise) और अनुभव होना चाहिए।

4. वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के लिए बुनियादी मानदंड (basic criteria) क्या हैं?

कम से कम 10 वर्षों की वकालत का अनुभव, जटिल और हाई-प्रोफाइल कानूनी मामलों को संभालने की क्षमता. विधि के विशिष्ट क्षेत्रों में (specific areas of law) विशेषज्ञता (Expertise) और उच्च स्तर की योग्यता (High level of Qualification) हो।

5. वरिष्ठ अधिवक्ता को क्या सुविधाएं और विशेषाधिकार (Facilities and Privileges) प्राप्त होते हैं?

वरिष्ठ अधिवक्ताओं को कई विशेषाधिकार (privileges) मिलते हैं, जैसे: अदालत की सुनवाई में प्राथमिकता (Priority in Court Hearings) मिलती है, अदालत कक्ष में बैठने की विशेष व्यवस्था (Special seating arrangements in the courtroom) होती है। अधिक जटिल और हाई-प्रोफाइल मामलों (complex and high-profile cases) में प्राथमिकता दी जाती है। उन्हें बहस (Arguments) के लिए पहले बुलाया जाता है।

6. वरिष्ठ अधिवक्ता सामान्य अधिवक्ता या प्रैक्टिशनर एडवोकेट (Practitioner Advocates) से किस तरह अलग होते हैं?

वरिष्ठ अधिवक्ता विशेषज्ञता (Expertise), मान्यता (Recognition) और मामलों के प्रकार (Type of Cases) के आधार पर सामान्य अधिवक्ताओं से अलग होते हैं। जहां एक सामान्य अधिवक्ता किसी भी प्रकार का केस ले सकता है, वहीं घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता मुख्य रूप से जटिल और हाई-प्रोफाइल केसों (Complex and High-Profile Cases) के विशेषज्ञ होते हैं। अदालत में उन्हें बहस के लिए प्राथमिकता दी जाती है और उनकी सेवाओं का शुल्क भी अधिक होता है।

7. वरिष्ठ अधिवक्ता के चयन या मतदान के लिए कौन जिम्मेदार होता है?

चयन प्रक्रिया उच्च न्यायालय (High Courts) या सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के वरिष्ठ न्यायाधीशों के कॉलेजियम द्वारा पूरी की जाती है। यह कॉलेजियम उम्मीदवार की कानूनी विशेषज्ञता (Legal Expertise), पेशेवर आचरण (Professional Conduct) और विधि क्षेत्र (Field of Law) में उसके योगदान का मूल्यांकन करता है और सुनिश्चित करता है कि वह इस प्रतिष्ठित उपाधि (Prestigious Title) के योग्य है।

8. वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के लिए कितने वोटों की आवश्यकता होती है?

आवश्यक वोटों की संख्या उच्च न्यायालयों (High Courts) या सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के नियमों के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। सामान्यतः, न्यायाधीशों के कॉलेजियम से बहुमत वोट (Majority vote from the Collegium of Judges) की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में उम्मीदवार की योग्यता का गहन मूल्यांकन (In-depth assessment) किया जाता है।

9. क्या विभिन्न उच्च न्यायालयों में वरिष्ठ अधिवक्ता घोषित करने के लिए अलग-अलग नियम हैं?

हां, प्रत्येक उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता घोषित करने की प्रक्रिया के लिए कुछ अलग नियम हो सकते हैं। इनमें न्यायाधीशों की संख्या (Number of Judges, चयन मानदंड (Selection Criteria) और अन्य प्रक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं। हालांकि, सभी न्यायालयों में मूल सिद्धांत (Basic Principle) समान रहता है— केवल योग्य (Qualified), अनुभवी (Experienced) और प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं (Reputed Advocates) को ही यह उपाधि (Title) दी जाती है।

10. वरिष्ठ अधिवक्ता बनने की प्रक्रिया कब शुरू हुई और इसे कब लागू किया गया?

वरिष्ठ अधिवक्ता नामित करने की प्रक्रिया को भारतीय बार काउंसिल अधिनियम, 1961 (The Indian Bar Council Act, 1961) के तहत औपचारिक रूप से लागू की गई थी। समय के साथ, विभिन्न उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय ने इस उपाधि के लिए अपने-अपने दिशानिर्देश (Guidelines) लागू किए हैं।

11. क्या वरिष्ठ अधिवक्ता घोषित होने के बाद पुनः आवेदन करना पड़ता है, या यह पदनाम (Title) स्थायी होता है?

वरिष्ठ अधिवक्ता का पदनाम (Title) आमतौर पर स्थायी होता है, बशर्ते कि अधिवक्ता नैतिक मानकों (Ethical Standards) और पेशेवर आचरण (Professional Conduct) का पालन करता रहे। यदि किसी अधिवक्ता पर गंभीर कदाचार (Serious Misconduct) का आरोप सिद्ध हो जाता है, तो इस उपाधि को रद्द (Revoked) किया जा सकता है। यानी एक बार किसी अधिवक्ता को वरिष्ठ अधिवक्ता घोषित कर दिया जाता है, तो यह पदनाम (Title) आमतौर पर स्थायी होता है। उन्हें दोबारा आवेदन करने की जरूरत नहीं पड़ती, जब तक कि कोई अनुशासनात्मक मामला (Disciplinary matter) न हो, जिसके कारण संबंधित न्यायालय उनके पद की समीक्षा या रद्द (Reviewing or Revoking) कर सके।

12. क्या वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के लिए कोई न्यूनतम आयु सीमा है?

हां, वरिष्ठ अधिवक्ता के लिए न्यूनतम आयु सीमा 45 वर्ष है, और उम्मीदवार को कम से कम 10 वर्षों तक वकालत करनी चाहिए।

13. वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद उनकी वेशभूषा (Robe) में क्या बदलाव होते हैं?

वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित होने के बाद वकील की वेशभूषा (Robe) बदल जाती है। विशेष काले गाउन (Special Black Gown) पहनते हैं, जिसमें एक सफेद कॉलर (White Collar) होता है। यह उनकी उच्च प्रतिष्ठा (High Prestige) और विशेष दर्जे (Special Status) का प्रतीक होता है।

14. क्या वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए कुछ प्रतिबंध (Restrictions) भी होते हैं?

-हां, वरिष्ठ अधिवक्ताओं (Senior Advocates) के लिए कुछ विशेष प्रतिबंध (Restrictions) होते हैं। उन्हें कुछ तरह के छोटे कानूनी कार्य (Minor Legal Work) जैसे ड्राफ्टिंग (Draftings), नोटिस (Notices), हलफनामे (Affidavits) आदि स्वीकार करने की मनाही (Prohibition) है। उनका मुख्य कार्य अदालत में प्रभावी ढंग से कानूनी तर्क प्रस्तुत करना और जटिल मामलों में सलाह देना होता है। कोई वरिष्ठ अधिवक्ता कोई दलील दाखिल (file any pleading) नहीं कर सकता, न ही अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व (Represent his Client) कर सकता है और न ही अपने हाथ (own handwriting) से आवेदन पत्र तैयार कर सकता है। यानी वरिष्ठ अधिवक्ता सीधे किसी मुवक्किल के वकालतनामा (Vakalatnama) पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। उन्हें केवल Advocate-on-Record (AOR) के माध्यम से ही अदालत में बहस करनी होती है।

15. अधिवक्ता का उच्चतम स्तर (Highest Level of Advocate) क्या होता है?

-अधिवक्ताओं का उच्चतम स्तर “वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट” (Senior Advocate, Supreme Court) होता है। इस स्तर पर पहुंचने के लिए, अधिवक्ताओं को कुछ विशिष्ट योग्यताएं और अनुभव साबित करने होते हैं। आमतौर पर, 50% से अधिक आवेदन सफलतापूर्वक आवश्यक मानदंडों को पूरा करने के बाद स्वीकार किए जाते हैं। यदि कोई उम्मीदवार एक वर्ष में असफल हो जाता है, तो वह अगले न्यायिक वर्ष में पुनः आवेदन कर सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ और अनुभवी अधिवक्ता ए.सी. तिवारी और दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता विपिन कुमार सिंह तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्याम किशोर त्रिपाठी।

16.घोषित वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) के लिए मतदान या चयन करने की जिम्मेदारी किसकी होती है?

मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) किसी अधिवक्ता को पूर्ण न्यायालय (Full Court) द्वारा अनुमोदन मिलने के बाद अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 16 के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करते हैं। रजिस्ट्रार जनरल, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव, प्रदेश बार काउंसिल, भारतीय बार काउंसिल और उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को इस पदनाम की अधिसूचना भेजी जाती है।

समिति की कार्यवाही का रिकॉर्ड और इस संबंध में पूर्ण न्यायालय (Full Court) से प्राप्त दस्तावेजों को स्थायी सचिवालय (Permanent Secretariat) में भविष्य के संदर्भ (further reference) के लिए सुरक्षित रखा जाता है।

17. न्यायाधीश (Judge) और न्यायमूर्ति (Justice) में क्या अंतर होता है?

-भारतीय न्याय प्रणाली में न्यायाधीश (Judge) किसी भी स्तर की अदालत में मामलों की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति को कहा जाता है। न्यायमूर्ति (Justice) आमतौर पर उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए प्रयुक्त शब्द है। सभी न्यायमूर्ति (Justice) न्यायाधीश (Judge) होते हैं, लेकिन सभी न्यायाधीश (Judge) न्यायमूर्ति (Justice) नहीं कहलाते। न्यायमूर्ति की उपाधि आमतौर पर (Higher Judicial Levels) पर सेवा करने वाले न्यायाधीशों के लिए आरक्षित होती है।