कृषि बिल वापस लेने के बाद भी किसानों के तेवर पहले की तरह से कायम हैं। बीजेपी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूढ़ी को किसानों का यह रवैया रास नहीं आया। उनका कहना था कि जब बिल लाए तो तकलीफ, वापस लिए तो परेशानी। आखिर चाहते क्या हैं ये लोग। विपक्ष की मंशा क्या है। कांग्रेस क्या चाहती है। जनता ने हमें बहुमत दिया है और आप लोग किसानों को गुमराह करने में लगे हैं।
राजीव ने कांग्रेस की तरफ से डिबेट में बैठे सांसद अमर सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि इन लोगों को रवैया इस तरह से है कि खाना मिल गया तो रोते हुए पूछ रहे हैं कि मुझे पूछा नहीं। खाना परोस दिया तो कहते हैं कि पूछा नहीं। उनका कहना था कि आप एमएसपी की बात उठा रहे हैं। उन्होंने 2010-12 के आंकड़ों से आज के आंकड़ों की तुलना करके बताया कि किसानों को सरकार पहले से ज्यादा आर्थिक मदद दे रही है। उनका सवाल था कि आप किसानों के हित में हैं?
दरअसल, कांग्रेस की तरफ से डिबेट में बैठे सांसद अमर सिंह ने इस बात पर आपत्ति जताई कि सरकार ने कानून वापसी पर चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझा। एंकर अंजना ओम कश्यप ने इस बात पर बीजेपी के राजीव प्रताप से जवाब मांगा था। एंकर का कहना था कि आप किसानों से बातचीत क्यों नहीं कर रहे?
बीजेपी सांसद @RajivPratapRudy बोले- जब फार्म बिल लाए तो तकलीफ थी जब बिल वापस ले लिया तो और तकलीफ हो गई इन्हें। मुझे समझ नहीं आता ये कौन सी राजनीति है #हल्ला_बोल #FarmLaws @anjanaomkashyap pic.twitter.com/Op0EDBRwzn
— AajTak (@aajtak) November 29, 2021
उधर, संसद में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारियों की जीत करार देते हुए पंजाब के किसान नेताओं ने एमएसपी पर कानून बनाने के लिए केंद्र से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने एक दिसंबर को आपात बैठक बुलाई है। उनका कहना था कि कृषि कानून निरसन विधेयक को जब सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया, तब उस पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई।
किसान नेताओं ने कहा कि यह हमारी जीत है। यह एक ऐतिहासिक दिन है। हमने भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को एसकेएम की एक आपात बैठक बुलाई है। इस बीच, दिल्ली की सीमाओं पर तीन प्रदर्शन स्थलों सिंघू, गाजीपुर और टिकरी पर जश्न मनाया गया। किसानों ने भांगड़ा किया और पंजाबी गीतों की धुन पर नृत्य किया। एसकेएम ने एक बयान में कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं।