महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन को लेकर इंतजार और लंबा हो गया जहां भाजपा ने अब तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है, वहीं शिवसेना बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद की साझेदारी पर अड़ी है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के हवाले से कहा गया कि भाजपा उनसे तभी संपर्क साधे जब मुख्यमंत्री पद शिवसेना को देने के लिए तैयार हो। ठाकरे ने बृहस्पतिवार को घंटे भर तक चली शिवसेना के नये विधायकों की बैठक की अध्यक्षता की जिस दौरान विधायकों ने दोहराया कि लोकसभा चुनाव से पहले पदों और जिम्मेदारियों के समान बंटवारे के जिस विचार पर सहमति बनी थी, उसे लागू किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार का कार्यकाल 9 नवंबर तक खत्म हो रहा है। ऐस में सवाल यह है कि अगर महाराष्ट्र में नहीं बनी 9 नवंबर तक सरकार तब क्या होगा? ऐसे में राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी की भूमिका अहम होगी। उनके पास कुछ विकल्प मौजूद रहेंगे।
बीजेपी 101 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल है लेकिन अन्य दलों का समर्थन न होने से वह सरकार बनाने में असमर्थ है। पहला विकल्प तो यही है कि बीजेपी और शिवसेना मिलकर सरकार का गठन करे। अगर ऐसा नहीं होता है तो दूसरा विकल्प शिवसेना का पास है। वह एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाए और कांग्रेस उसका समर्थन करे। ये दोनों स्थिति 9 नवंबर से पहले फिट बैठती है।
मगर 9 नवंबर के बाग राज्यपाल की भूमिका बेहद अहम होगी। सबसे पहले तो मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफा देना होगा। राज्यपाल उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त करेंगे। इसका बाद सरकार गठन को लेकर फिर से कवायद की जाएगी। बीजेपी यानि कि सबसे बड़े दल से पूछा जाएगा कि क्या वे सरकार बनाने के लिए प्राप्त संख्याबल के साथ दावा पेश कर सकती है। इसके बाद अन्य दलों को बुलावा भेजा जाएगा।
वहीं अगर बीजेपी सरकार के गठन से इनकार करती है तो दूसरे सबसे बड़े दल को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं। इसके बाद राज्यपाल के पास दो विकल्प हैं। दलों के साथ बैठक के बाद अगर सरकार गठन के लेकर तस्वीर साफ नहीं होती है तो राज्यपाल रिपोर्ट सौंपकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करेंगे।
ऐसे में अगर अगर अगले दो दिनों में यानी 9 नवंबर तक कोई फैसला नहीं लिया गया, या किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। एक अन्य विकल्प यह है कि राज्यपाल राज्य विधानसभा को ‘सस्पेंडेड अनिमेशन’ मोड में रख सकते हैं। इसका मतलब यह है कि विधानसभा निलंबित रहेगी। हालांकि ऐसी स्थिति में यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है कि विधानसभा कब तक निलंबित रहेगी।
नियमों के मुताबिक नई विधानसभा तभी अस्तित्व में आती है जब तक नई सरकार नहीं बन जाती। ऐसे में तबतक नव-निर्वाचित विधायक शपथ भी नहीं ले सकते। बता दें कि महाराष्ट्र में 288 सीटों के लिये 24 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिली थीं जो सरकार बनाने के लिये जरूरी 145 के आंकड़े से ज्यादा है, लेकिन मुख्यमंत्री किस पार्टी का होगा इसे लेकर जारी गतिरोध के चलते अब तक नयी सरकार का गठन नहीं हुआ है। चुनावों में भाजपा के खाते में 105 सीटें आई हैं। शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं।