What Is Adarsh Scam: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण आज सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। अशोक चव्हाण कांग्रेस पार्टी का ऐसा चेहरा माने जाते रहे हैं, जो हर मुश्किल वक्त में पार्टी के साथ खड़े रहे। साल 2024 में मोदी लहर के बाद भी उन्होंने महाराष्ट्र की नांदेड़ सीट से कांग्रेस की झोली में जीत डाली। अशोक चव्हाण मूलत: औरंगाबाद जिले के पैठण तहसील के निवासी हैं, लेकिन उनके पूर्वज नांदेड़ में आकर रहने लगे और तब से वो नांदेड़कर कहलाने लगे।
चव्हाण को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता शंकरराव चव्हाण दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। शंकरराव चव्हाण की ही बदौलत मराठवाड़ा में कांग्रेस मजबूत हुई और सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद कांग्रेस को कोई यहां से हिला नहीं सका।
8 दिसंबर 2008 से 9 नवंबर 2010 तक अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। आदर्श घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा। उस वक्त राजनीतिक जानकारों को कहना था कि सीएम पद जाने के बाद अशोक चव्हाण का राजनीतिक बनवास शुरू हो चुका है, लेकिन अशोक ने इन सब कयासों और चर्चाओं का मुंहतोड़ जवाब दिया और 2014 में फतह हासिल की। उनके महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया।
क्या है महाराष्ट्र का आदर्श घोटाला?
महाराष्ट्र सरकार ने युद्ध मारे गए सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बिल्डिंग बनाने का फैसला किया था। जिसे कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी के नाम से बनाया गया था। इसके बनने के बाद आरटीआई में खुलासा हुआ कि नियमों को ताक में रखकर इसके फ्लैट अफसरों, नेताओं को बेहद कम कीमत में दे दिए गए। इस घोटाले का पर्दाफाश 2010 में हुआ था। इसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ गया था क्योंकि इस घोटाले में उनका भी नाम खूब उछला था।
21 दिसंबर 2010 में मुंबई हाईकोर्ट ने इसको धोखेबाजी का मामला बताया और इसके बाद यह भी सामने आया कि इस बिल्डिंग को बनाने के लिए पर्यावरण के नियमों को ताक पर रख दिया गया और बाद में इसको गिराने के आदेश दे दिए गए।
2011 में इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए और महाराष्ट्र सरकार ने जस्टिस जेए पाटिल की अध्यक्षता में दो सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया। इसमें 182 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई और साल 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जांच में सामने आया कि करीब 25 फ्लैट गैरकानूनी तौर पर आबंटित किए गए हैं। इनमें से 22 फ्लैट फर्जी नाम से खरीदे गए थे। इस आयोग की रिपोर्ट में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम भी सामने आए थे। जिसमें अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख, सुनील कुमार शिंदे और शिवाजीराव निलंगेकर के नाम शामिल थे।
