ममता बनर्जी सरकार ने शुक्रवार को राज्य में 620 विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इनमें स्कूल, हॉस्टल, पीने का साफ पानी, स्वास्थ्य सेवाएं , शॉपिंग कॉम्पलेक्स आदि विकास कार्य शामिल हैं। गौरतलब है कि ममता बनर्जी सरकार ने इन विकास योजनाओं के सहारे राज्य के अल्पसंख्यकर समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश की है। दरअसल ममता सरकार ने जिन 620 विकास योजनाओं की शुरुआत की है, उनमें से 600 योजनाएं अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाले इलाकों में शुरू की गई हैं।

बता दें कि अधिकतर योजनाएं राज्य के अल्पसंख्यक विभाग द्वारा लागू की गई हैं। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, ममता बनर्जी के करीबी सूत्रों ने बताया कि “वह (ममता बनर्जी) इस बात को जानती हैं कि विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और भाजपा जिस तरह से सरकार विरोधी मुद्दों को उठा रही है, उसे देखते हुए उन्होंने भी चुनाव के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।”

ममता सरकार ने राज्य के माल्दा, उत्तरी दिनाजपुर, कूच बिहार, नादिया और बीरभूम जिलों में इन विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है। इन सभी जिलों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं।

सूत्रों के अनुसार, ऐसे समय में जब विपक्षी पार्टियों द्वारा अल्पसंख्यक मतदाताओं को ममता सरकार के खिलाफ करने की कथित कोशिश की जा रही है। ऐसे समय में सरकार अल्पसंख्यक समुदाय, जो कि पार्टी का समर्थक है, उसे सकारात्मक संदेश देना चाहती है। सत्ताधारी पार्टी विकास कार्यों से अपने खिलाफ बनाए जा रहे माहौल को बदलना चाहती है।

ऐसी भी चर्चाएं हैं कि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बंगाल में बढ़ते प्रभाव के चलते भी ममता सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने का प्रयास किया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या राज्य की कुल जनसंख्या के 30 फीसदी के करीब है।