West Bengal: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस को बुधवार उस वक्त काले झंडे दिखाए गए, जब उनका काफिला सिलीगुड़ी के नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के परिसर में प्रवेश रहा था। राज्यपाल को यह काले झंडे तृणमूल छात्र परिषद के सदस्यों ने दिखाए। राज्यपाल यहां कुलपतियों के साथ बैठक करने पहुंचे हैं।

तृणमूल छात्र परिषद के सदस्यों ने इस दौरान “वापस जाओ” के नारे भी लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि बोस राजभवन से “समानांतर प्रशासन चला रहे थे” और इसलिए वे उनकी यात्रा का विरोध कर रहे थे।

एक छात्र ने कहा, ‘‘हम राज्यपाल को आज की बैठक करने की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि वह एक चुनी हुई सरकार को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। वह ऐसा कैसे कर सकते हैं? वह राजभवन से समानांतर प्रशासन चलाने की कोशिश कर रहे हैं। वह कुलपतियों की नियुक्ति में भी सरकार को अंधेरे में रख रहे हैं… ऐसा नहीं चल सकता।’’

‘राज्यपाल वापस जाओ के लगाए नारे’

बोस जब विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश कर रहे थे तब टीएमसीपी के सदस्यों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और वे तख्तियां भी लहराईं जिस पर ‘वापस जाओ’ के नारे लिखे थे। हालांकि मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस बाबत किसी को न गिरफ्तार किया गया है और न ही हिरासत में लिया गया है, लेकिन इस पूरे मामले की जांच की जा रही है। हम देख रहे हैं कि सुरक्षा में यह चूक कैसे हुई।

ममता सरकार ऐसे ही कृत्यों में लिप्त: अधीर रंजन चौधरी

राज्यपाल को काले झंडे दिखाए जाने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता सरकार पर निशाना साधा। चौधरी ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ऐसे निंदनीय कृत्य में लिप्त रही है, जो राज्य सरकार की छवि को धूमिल कर रहे हैं। कोई व्यक्ति किसी को भी पसंद नापसंद कर सकता है, लेकिन यह हमारे संविधान में मौजूद शिष्टाचार से बड़ा नहीं हो सकता है। राज्यपाल के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए, मैं इसकी निंदा करता हूं।

बोस बंगाल में सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। वह यूएनबी परिसर में राज्य के उत्तरी जिलों के विश्वविद्यालयों के 13 कुलपतियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। राज्यपाल बंगाल के उत्तरी जिलों की चार दिवसीय यात्रा पर हैं।