पश्चिम बंगाल चुनाव के नजदीक आते ही सभी पार्टियों ने तैयारियां करनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में भाजपा ने फ़रवरी और मार्च के महीने में रथयात्रा निकालने की योजना बनाई है। हालाँकि बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा को रोकने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गयी है। साथ ही माना यह भी जा रहा है कि ममता सरकार भी इस रथयात्रा को रोकना चाहती है। इसी को लेकर ममता के एक मंत्री ने कहा है कि हम अपनी संस्कृति को बर्बाद नहीं होने देना चाहते हैं और राज्य में धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखना चाहते हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने के लिए फरवरी और मार्च में रथयात्राएं निकालने का निर्णय लिया है। भाजपा के अनुसार यह रथ यात्राएँ पांच अलग अलग जगहों से निकलेगी और राज्य के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। ये रथयात्राएं नबाद्वीप, कूचबिहार, काकद्वीप, झारग्राम और तारापीठ से शुरू होगी। जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा शनिवार को रथयात्रा अभियान का शुभारंभ करेंगे। हालाँकि कहा यह भी जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह भी इस रथयात्रा में शामिल हो सकते हैं।
वैसे ममता बनर्जी की सरकार इस रथयात्रा को किसी भी हाल में नहीं होने देना चाहती है। ममता सरकार को डर है कि इस अभियान से राज्य की स्थिति ख़राब हो सकती है। इसी अभियान को लेकर ममता सरकार के मंत्री पार्थो चटर्जी ने कहा है कि रथयात्रा को अनुमति देना प्रशासन का काम है। प्रशासन इस काम को अपने हिसाब से करेगा। साथ ही पार्थो ने यह भी कहा कि हम अपने राज्य की संस्कृति को बर्बाद नहीं कर सकते हैं और राज्य में धर्मंनिरपेक्षता को बचाए रखना चाहते हैं। वहीँ तृणमूल मंत्री ब्रत्य बासु ने कहा कि बीजेपी का हर अभियान बंगाल में धुर्वीकरण और लोगों के बाँटने के लिए होता है।
हालाँकि बीजेपी के रथयात्रा अभियान को रोकने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गयी है। याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा है कि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे। साथ ही वकील राम प्रसाद सरकार के द्वारा दी गयी दलील में कहा गया है कि यदि इस यात्रा को अनुमति मिलती है तो राज्य में कोरोना महामारी और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की पूरी संभावना है। इसलिए राज्य सरकार इस अभियान को शुरू करने की अनुमति ना दे।