पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष ममता बनर्जी को एक और झटका लगा है। सोमवार (17 जून, 2019) को नवपारा से उनकी पार्टी के विधायक सुनील सिंह 12 पार्षदों के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए। राजधानी नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में प.बंगाल बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय उस दौरान मौजूद रहे, जिन्होंने इन सभी को पार्टी सदस्यता दिलाई।

पत्रकारों से सिंह ने इससे कुछ देर पहले कहा था, “प.बंगाल ‘सबका साथ, सबका विकास’ चाहता है। दिल्ली में मोदी जी की सरकार है और हम चाहते हैं कि राज्य में भी वैसी ही सरकार बने, ताकि प.बंगाल का भी विकास हो सके।”

इससे पहले, मई 2019 के अंत में टीएमसी के दो विधायक समेत 50 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए थे। विजयवर्गीय ने तब दावा किया था कि आगे और भी नेता बीजेपी का दामन थामेंगे। जिस तरह सात चरण में आम चुनाव हुए, वैसे ही छह और चरणों में भी दूसरे दलों के लोग आकर बीजेपी का हिस्सा बनेंगे।

ममता को हालिया झटका ऐसे वक्त पर लगा है, जब वह सूबे भर के जूनियर डॉक्टरों के विरोध का सामना कर रही हैं। दरअसल, बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 75 वर्षीय मरीज की मौत हो गई थी, जिसके बाद आक्रोशित तीमारदारों ने अस्पताल में हंगामा काटा था। झड़प व मारपीट के दौरान दो डॉक्टर बुरी तरह जख्मी हुए थे। विरोध में सूबे के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे।

आगे यह मामला बढ़ा और बेंगलुरू, दिल्ली, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के डॉक्टरों ने भी हेलमेट और पट्टी बांधकर इस घटना का सांकेतिक विरोध किया और डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की मांग की। बंगाल में जूनियर डॉक्टर 11 जून से हड़ताल पर हैं। हालांकि, ममता हड़ताल के छठे दिन थोड़ी नरम पड़ीं और वह जूनियर डॉक्टरों की सभी मांगें मानने के लिए राजी हो गईं।

सोमवार शाम सीएम की जूनियर डॉक्टरों के साथ मुलाकात हुई। दीदी ने उस दौरान उनकी सभी मांगें मान लीं। सीएम डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने को राजी हो गई हैं। हालांकि, इस भेंट में महज दो स्थानीय समाचार चैनलों को ही मीडिया कवरेज करने के लिए प्रवेश दिया गया। दीदी बोलीं कि युवा डॉक्टर ही भविष्य हैं। उन्हें निशाना बनाने का उनका कोई इरादा नहीं हैं।