देश में जहां एक तरफ हर राज्य प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए ट्रेनों की मांग कर रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल ने अलग-अलग हिस्सों में फंसे राज्य के प्रवासी मजदूरों को लेने में असमर्थता जता दी है। प. बंगाल के मुख्य सचिव ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य प्रशासन अभी अम्फान चक्रवात की वजह से राहत और बचाव कार्य में लगा है। ऐसे में आने वाले कुछ दिनों तक राज्य में आ रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रिसीव करना मुश्किल होगा। इसलिए अपील की जाती है कि 26 मई तक राज्य में कोई भी ट्रेन न भेजें।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में हाल ही में अम्फान तूफान की वजह से भारी तबाही हुई है। यहां 80 लोगों की मौत के साथ हजारों करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है। एनडीआरएफ की टीमें फिलहाल राज्य में राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं। राज्य सरकार भी नुकसान का जायजा ले रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि बंगाल में जनजीवन पटरी में लौटने में कुछ दिन का समय लगेगा।

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हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार पर पहले ही प्रवासी मजदूरों को राज्य में न आने देने के आरोप लग चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो हफ्ते पहले ही बंगाल सरकार को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों को राज्य में न जाने देने की नीति पर नाखुशी जाहिर की। उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने दो लाख लोगों के लिए उनके गृह-राज्य लौटाने का इंतजाम किया है। बंगाल के प्रवासी मजदूर भी घर लौटने के लिए बेताब हैं, लेकिन बंगाल सरकार प्रवासी श्रमिकों की ट्रेन बंगाल में नहीं घुसने दे रही हैं, यह राज्य के प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है और इससे उनके लिए और परेशानियां खड़ी हो जाएंगी।

इसके बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी यही आरोप दोहराए थे। उन्होंने कहा था कि कुछ राज्यों ने प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों में वापस भेजने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने के लिए हमारे साथ सहयोग नहीं किया। अनुमान है कि पश्चिम बंगाल में ही करीब 40 लाख प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य लौटना चाहते हैं लेकिन ममता सरकार की मंजूरी के बाद केवल 27 विशेष ट्रेनें ही राज्य में प्रवेश कर सकी हैं।

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