बंगाल में चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे करीब आ रही हैं, सियासतदानों की सियासत भी तेज होती जा रही है। इसको लेकर टीवी चैनलों पर भी बहस तेज होती जा रही है। सभी दलों के प्रवक्ता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में किसी से पीछे नहीं रहना चाहते हैं। बंगाल में कांग्रेस के इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के पीरजादा अब्दुल्ला सिद्दीकी के साथ जाने और दूसरे राज्यों में दूसरे दलों के साथ रहने को लेकर भी सियासी बयानबाजी ने तेजी पकड़ ली है।
टीवी चैनल आजतक पर एंकर रोहित सरदाना के साथ डिबेट के दौरान बंगाल से कांग्रेस के प्रवक्ता शुभंकर सरकार और बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के बीच बहस हुई। कांग्रेस के प्रवक्ता शुभंकर सरकार के एक सवाल पर बोलते हुए बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “देखिए कितनी दुखद बात है बंगाल में हिंसा में कांग्रेस के कार्यकर्ता भी मारे गए, मगर कांग्रेस के नेता उनके लिए बोलने को तैयार नहीं हैं। हमारे ही गृहमंत्री अमित शाह जी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमारे कार्यकर्ता मारे गए, लेफ्ट और कांग्रेस के कार्यकर्ता मारे गए, मगर राजनीतिक कारणों से वे बोल नहीं पा रहे हैं।”
"रह रह के बदलते हैं दिन रात नए चोले,
अंदर से बड़े ज़ालिम, ऊपर से बड़े भोले!" – @SudhanshuTrived का कांग्रेस की सियासत पर तंज़ #Dangal #WestBengalElection2021 (@sardanarohit) pic.twitter.com/VfM6AdzdUM— AajTak (@aajtak) March 4, 2021
कांग्रेस के प्रवक्ता शुभंकर सरकार ने बीच में रोकते हुए कहा कि कौन मना करता है। इस पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “क्या आप कहना चाहते हैं कि कोई नहीं मारा गया है। तो फिर क्यों नहीं उसके लिए आवाज उठाते, हम तो आवाज उठाने के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने कहा, “ये डेमोक्रेसी की बात कह रहे हैं तो और कुछ न करिएगा मान्यवर, आपके प्रधानमंत्री रहे हैं पीवी नरसिम्हाराव, उनकी किताब है द इनसाइडर, उसको पढ़ लीजिएगा, कितनी डेमोक्रेसी है पता चल जाएगा। नेहरू के निजी सचिव से गांधी के निजी सचिव तक की पुस्तकें पढ़ लीजिएगा, कैसे निर्णय हुए सब पता लग जाएगा।”
सुधांशु ने कहा कि अब आइए वर्तमान में, “गजब का आपकी रंग बदलने की सियासत है। पूर्व में आप बंगाल में आईएसएफ के अब्दुल्ला सिद्दीकी के साथ हैं, तो पश्चिम में आप शिवसेना के साथ हैं, बंगाल में आप लेफ्ट के साथ है तो केरल में आप उसके विरोध में है और फिर दिल्ली में फिर लेफ्ट के साथ है। ऐसा समन्वय आप ही कर सकते हैं। हम एक ही पंक्ति कहेंगे ‘रह रह के बदलते हैं दिन रात नए चोले, अंदर से बड़े ज़ालिम, बाहर से बड़े भोले!’ आपका तो दिन रात नया चोला बदल रहा है।”