Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो उस रूसी महिला का पता लगाने के लिए तत्काल कदम उठाए, जो अपने भारतीय पति के साथ चल रहे हिरासत विवाद (Custody Dispute) के बीच अदालती आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने चार वर्षीय बेटे के साथ भारत से भाग गई।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की खंडपीठ ने कहा कि बच्चे के साथ भागने की उसकी घटना दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही का परिणाम है, जबकि उसे सतर्कता बनाए रखने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस ने उसे बच्चे के साथ जाने दिया, तथा पिता की शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की।
कोर्ट ने आदेश दिया, ‘हम गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को निर्देश देते हैं कि वे मॉस्को, रूस स्थित भारतीय दूतावास को तुरंत सूचित करें, जो याचिकाकर्ता और नाबालिग बच्चे से संपर्क स्थापित करने के तरीके और साधन तलाशेंगे। कोर्ट ने कहा कि कोई भी कठोर कार्रवाई करने से पहले अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे रूस स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क स्थापित करें, इंटरपोल की सेवाएं लें और द्विपक्षीय संधियों के संदर्भ में आगे की कार्रवाई करें तथा याचिकाकर्ता और बच्चे को इस न्यायालय के समक्ष पेश करने की पूरी प्रक्रिया से न्यायालय को अवगत कराएं।’
बता दें, यह मामला एक रूसी महिला और उसके भारतीय पति के बीच हिरासत विवाद से सामने आया। कोर्ट के अंतरिम निर्देशों का पालन करते हुए, दंपति दिल्ली में अलग-अलग रह रहे थे और अपने पांच साल के बच्चे की संयुक्त अभिरक्षा कर रहे थे। कोर्ट के 22 मई के आदेश के अनुसार, अभिरक्षा सप्ताह में तीन दिन मां के पास और शेष दिन पिता के पास रहेगी।
7 जुलाई को पिता ने कोर्ट को सूचित किया कि मां और बच्ची दोनों स्कूल के बाद लापता हो गए हैं, जिससे बच्चे की भलाई के संबंध में गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं, जिसमें मेडिकल जांच और स्कूल में उपस्थिति में चूक भी शामिल है।
आरोपों पर गौर करते हुए कोर्ट ने 17 जुलाई को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मां और बच्चे का पता लगाएं और यह सुनिश्चित करें कि वे देश छोड़कर न जाएं। हालाँकि, बाद में कोर्ट को बताया गया कि वह और बच्चा लापता हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने शुक्रवार को कोर्ट को बताया कि जांच उस चरण में पहुंच गई है, जहां अब राजनयिक माध्यमों से मदद ली जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि मामले में नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात और रूस की सहायता ली जा रही है।
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कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि प्राधिकारियों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे को स्वयं सर्वोच्च न्यायालय की हिरासत से हटाया गया था और यह केवल माता-पिता के बीच हिरासत का विवाद नहीं है। इसमें कहा गया है कि इस न्यायालय के आदेश का घोर उल्लंघन किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप आपराधिक अवमानना कार्यवाही के अलावा इस न्यायालय से बच्चे की हिरासत जानबूझकर हटाने के लिए उचित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली पुलिस को चेतावनी दी कि अगर ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो वह कठोरतम आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगी। मामले की सुनवाई 10 दिन बाद फिर होगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि एडमिनिस्ट्रेटर्स और जज की चमड़ी मोटी होती है। पढ़ें…पूरी खबर।