Special Intensive Revision: बिहार में चुनाव आयोग ने हाल ही में मतदाता सूची का ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) शुरू किया है, जिसे लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। लेकिन इसी बीच आयोग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देश के बाकी सभी राज्यों को भी ऐसी ही तैयारी करने का निर्देश दे दिया है। आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि वे 1 जनवरी 2026 को आधार बनाकर मतदाता सूचियों को दोबारा खंगालने की तैयारी शुरू करें। यानी उस दिन तक 18 साल के हो चुके सभी नागरिकों का नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए। हालांकि, इस पूरे अभियान की टाइमलाइन अभी तय नहीं हुई है।

बिहार में 2003 की मतदाता सूची को “प्रमाणिक आधार” मानते हुए आयोग ने तय किया है कि उस सूची में जिनका नाम था, उन्हें ही असल भारतीय नागरिक माना जाएगा। बाकी सभी को अपनी नागरिकता और उम्र साबित करनी होगी, भले ही उन्होंने कई चुनावों में वोट डाला हो। जिन लोगों का नाम 2003 के बाद लिस्ट में जोड़ा गया, उन्हें भी दोबारा दस्तावेज देकर साबित करना होगा कि वे भारतीय नागरिक हैं। इससे करीब 2.93 करोड़ लोगों पर असर पड़ सकता है।

ज्यादातर लोगों के पास सिर्फ आधार, राशन कार्ड और वोटर ID ही हैं

अब तक वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए 11 तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे थे। इनमें आधार, वोटर ID, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र और कुछ सरकारी पहचान पत्र शामिल थे। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि ज्यादातर लोगों के पास सिर्फ आधार, राशन कार्ड और वोटर ID ही हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अब आयोग ने तीन दस्तावेज – आधार, वोटर ID और राशन कार्ड – को भी शामिल करने पर विचार किया है। ये दस्तावेज ज्यादातर लोगों के पास हैं, खासकर बिहार जैसे राज्यों में।

इस पूरे अभियान को लेकर सबसे ज़्यादा डर हाशिए पर जी रहे लोगों में है। ईबीसी, दलित, मुसलमान और गरीब तबके के लोग डरे हुए हैं कि कहीं उनका नाम ही न कट जाए। कुछ इसे “पीछे से लाया गया एनआरसी” कह रहे हैं। मतलब बिना सीधे कहे नागरिकता की जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में इस प्रक्रिया को रोकने से तो मना कर दिया, लेकिन चिंता जताई कि कहीं चुनाव से पहले किसी का नाम लिस्ट से हट गया, तो उसका वोट देने का अधिकार ही छिन जाएगा। कोर्ट ने आयोग को सुझाव दिया कि दस्तावेज़ी प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।

Bihar Politics: वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर कांग्रेस ने उठाए 5 सवाल, चुनाव आयोग के कदम को बताया ‘संदिग्ध’

चुनाव आयोग का कहना है कि शहरों में पलायन बढ़ा है, लोग एक जगह से दूसरी जगह बस जाते हैं, लेकिन पुराने पते से नाम नहीं हटवाते। इससे एक ही व्यक्ति के नाम दो जगह आ जाते हैं। इसी को ठीक करने के लिए वोटर लिस्ट को साफ किया जा रहा है। राजनीतिक दलों ने भी कई बार फर्जी वोटिंग की शिकायत की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। आयोग का कहना है कि इस तरह की समस्याओं को खत्म करने के लिए ही ये अभियान जरूरी है।

हां, इस तरह के बड़े पुनरीक्षण अभियान पहले भी कई बार हो चुके हैं – 1950 के दशक से लेकर 2004 तक कई बार। लेकिन इस बार का अभियान दो वजहों से अलग है – पहली बार पहले से रजिस्टर्ड वोटर से ही दोबारा दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, और दूसरी बार आयोग ने खुद अपनी पुरानी वोटर लिस्ट की वैधता पर सवाल खड़ा कर दिया है। कुल मिलाकर, आने वाले दिनों में देशभर में वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है, और आम लोगों को फिर से खुद को साबित करने के लिए तैयार रहना होगा।